कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनके विचार तो महान होते हैं किन्तु जीवन महान नहीं होता । कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका जीवन तो महान होता है, विचार महान नहीं होते और ऐसा कोई बिरले ही होता है, जिनके विचार और जीवन दोनों महान होते हैं । हिंदी ब्लॉग जगत में ऐसे कुछ ही हैं जिनके जीवन और विचार दोनों महान है, उसमें से एक हैं रवीन्द्र प्रभात जी । ऐसा मैंने करीब से महसूस किया है, आप माने या न माने आपकी मर्जी ।
बाकी सब खुदगर्जी ।
एक अखबार के संपादक ने कुछ हिंदी ब्लोगरों की जमात को लम्पट कह दिया तो लम्पटों ने मोर्चा खोल दिया, उसी प्रकार जैसे नक्कटों को नक्कटा कहना अपराध माना जाता है । मोर्चा खोलने वालों में एक हैं तथाकथित साहित्यकार, दुसरे हैं तथाकथित खुर्पेंचिया ब्लोगर और तीसरे हैं खुर्पेंचिया जी के तथाकथित शिष्य । तीनों ने मिलकर कुछ ऐसा किया कि, जो यह मानने को तैयार नहीं थे कि हिंदी के ब्लोगर लम्पट होते हैं.... वे भी मानने को विबश हो गए कि सचमुच हिंदी ब्लोगिंग में लम्पटों की कमी नहीं ।
अब यह सुनने में आ रहा है कि वटवृक्ष के ब्लोगर दशक विशेषांक की अपार सफलता को देखकर कुछ नक्कालों ने वटवृक्ष की सारी सामग्रियों को हूँ ब हूँ छपवाकर बेचने की तैयारी कर रहे हैं, इसलिए ब्लोगरों सावधान हो जाईये .....हिंदी ब्लॉग जगत में लम्पटों के बाद अब नक्कालों की घुसपैठ हो गयी है। पत्रिका के बारे में कुछ जानकारी दे रहा हूँ , ये सारी चीजें जिसमें हो वही खरीदें । किसी नक्काले के चंगुल में न फंस जाए ।
82 पृष्ठ के मल्टीकलर और अत्यंत मनभावन पत्रिका में ब्लोगिंग यानी आम आदमी की बुलंद अभिव्यक्ति पर रवीन्द्र प्रभात के द्वारा एक लंबी परिचर्चा आयोजित की गयी है जिसमें हिंदी के महत्वपूर्ण ब्लोगर सर्व श्री शकील सिद्दीकी, दिविक रमेश,प्रेम जन्मेजय,बालेन्दु शर्मा दाधीचजी के अवधिया, अविनाश वाचस्पति, ज्ञान दत्त पाण्डेय, पियूष पाण्डेय,डॉ अरविन्द मिश्र, खुशदीप सहगल, डॉ कुमारेन्द्र सिंह सेंगर, डॉ सुभाष राय,अखिलेश शुक्ल, डॉ रूप चद शास्त्री मयंक, अजय कुमार झा , अजित राय,सतीश सक्सेना, मनोज कुमार, सिद्धेश्वर सिंह, सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी,ललित शर्मा, आकांक्षा यादव,रेखा श्रीवास्तव आदि ।
पत्रिका में अंतरजाल पर सक्रिय हिंदी की महिला लेखिकाओं की वृहद् चर्चा की गयी है, जिसमें महत्वपूर्ण है रश्मि रविजा, लावण्या शाह, पूर्णिमा वर्मन, रश्मि प्रभा, डॉ कविता वाचकनवी,घुघूती बासूती, सुधा भार्गव, आकांक्षा यादव, रंजना भाटिया, निर्मला कपिला, संगीता स्वरुप, अजित गुप्ता, रचना, संगीता पूरी, प्रत्यक्षा सिन्हा, प्रतिभा सक्सेना, वाणी शर्मा, वन्दना गुप्ता, शिखा वार्ष्णेय, रचना दीक्षित, मीनाक्षी धन्वन्तरी,डॉ रमा द्विवेदी, डॉ जेनी शबनम, स्वप्न मंजूषा अदा, गीता श्री, प्रतिभा कटियार, शेफाली पाण्डेय, रेखा श्रीवास्तव, अपर्णा भागवत, महेश्वरी कनेरी,डॉ निधि टंडन, संगीता सेठी, प्रतिभा कुशवाहा, पारुल पुखराज, हेम ज्योत्सना पराशर दीप, कविता विकास, प्रियंका राठोड, रंजना सिंह, आशा लता सक्सेना, गिरिजा कुलश्रेष्ठ, डॉ मीनाक्षी स्वामी, सुमन कपूर, सुनीता, ममता सिंह, मृदुला हर्षवर्धन, अर्चना चाव जी, सोनल रस्तोगी, अनुपमा पाठक, पूनम श्रीवास्तव, गीता पंडित, राजेश कुमारी,अंजना दयाल, मीनू खरे, माधवी शर्मा गुलेरी, डॉ अरुणा कपूर, इन्दू पूरी, कंचन चौहान, असीम भट्ट, मनीषा कुलश्रेष्ठ, सुशीला पूरी, लीना मल्होत्रा राव, सुनीता शानू, रीता प्रसाद, दिव्या श्रीवास्तव,डॉ संध्या तिवारी, वन्दना महतो, हरकीरत हीर, सर्जना शर्मा, अर्शिया अली, अनुलता राज नायर, डॉ मोनिका शर्मा, नीरा त्यागी, सोंरुपा विशाल, इंदु सिंह, अनु सिंह चौधरी, रजनी मल्होत्रा नैयर, क्षितिजा, दीपिका रानी,हेमा दीक्षित, सोनिया बहुखंडी गौर, संगीता सिंह तोमर, अलका सैनी, निशा महाराणा, सरस दरवारी, शिखा कौशिक, कनुप्रिया गुप्ता, संध्या आर्य, डॉ प्रीत अरोड़ा, आभा, सुषमा आहुति, डॉ अनिता कपूर, विभा रानी श्रीवास्तव, अपर्णा भागवत, विधु यादव, हरदीप कौर संधू, कविता रावत, इला प्रसाद, अक्षिता पाखी आदि ।
पत्रिका में अंतरजाल पर सक्रिय हिंदी के पुरुष ब्लोगरों की वृहद् चर्चा की गयी है, जिसमें महत्वपूर्ण है -डॉ अरविन्द मिश्र, समीर लाल समीर,अनूप शुक्ल, रवीन्द्र प्रभात, प्रमोद सिंह, रवि रतलामी, शास्त्री जे सी फिलिप, दिनेश राय द्विवेदी,अजीत वाडनेकर, सुरेश चिपलूनकर, अविनाश वाचस्पति, डॉ जाकिर अली रजनीश, जीतेन्द्र चौधरी, मनीष कुमार, यशवंत, बी एस पावला, ज्ञान दत्त पाण्डेय, अलवेला खत्री, रबिश कुमार, खुशदीप सहगल, शाहनवाज़, सतीश पंचम,पुण्य प्रसून बाजपेयी, आलोक पुराणिक, रतन सिंह शेखावत, राजीव तनेजा, राजेन्द्र तेला निरंतर, प्रवीन पाण्डेय,अफलातून देसाई, आशीष खंडेलवाल, निशांत मिश्र, अशोक कुमार पाण्डेय, दिविक रमेश, प्रमोद ताम्बट , नीरज गोस्वामी, कौशलेन्द्र, पंकज सुबीर, चंडी दत्त शुक्ल, अविनाश चन्द्र, विजय कुमार सपत्ति, डॉ रूप चाँद शास्त्री मयंक, डॉ अरविन्द श्रीवास्तव, रणधीर सिंह सुमन , सतीश सक्सेना, प्रतुल वशिष्ट, अरुण साथी, संजय अनेजा, गौतम राजरिशी, नीरज जाट, श्याम कोरी उदय, टी एस दाराल, कुमार राधारमण, अरुण चन्द्र राय, मनोज पाण्डेय, हंस राज सुज्ञ, प्रवीण शाह, श्रीश शर्मा, योगेन्द्र पाल, कुवंर कुसुमेश, नवीन प्रकाश, संतोष त्रिवेदी, रविन्द्र पुंज, जय प्रकाश तिवारी, केवल राम, हरीश प्रकाश गुप्त, राहुल सिंह, राजेन्द्र स्वर्णकार, अजय कुमार झा, इन्द्रनील भट्टाचार्य,सुमित प्रताप सिंह, रजनीश के झा, संजीव तिवारी, जी के अवधिया, रविकर फैजावादी, कीर्तिश भट्ट, रावेन्द्र कुमार रवि, मसिजीवी, निर्मल गुप्त, परमेन्द्र प्रताप सिंह, कैलाश शर्मा, गिरीश बिल्लोरे मुकुल,डॉ प्रवीण चोपड़ा, मुकेश कुमार सिन्हा, सजीव सारथी, दर्शन बवेजा, मुकेश कुमार सिन्हा, संजय वेंगानी, कनिष्क कश्यप, बसंत आर्य, ॐ आर्य, हरे प्रकाश उपाध्याय, सिद्धेश्वर सिंह, ताऊ रामपुरिया, शिवम् मिश्र, यशवंत माथुर, दिनेश माली, नित्यानंद गायन, आलोक खरे, राजिव चतुर्वेदी, ओम पुरोहित कागद, भारत तिवारी दस्तकार, मिथिलेश दुबे, धीरेन्द्र सिंह भदौरिया, संतोष सिद्दार्थ, डॉ हेमंत कुमार, गणेश जी बागी, हरीश सिंह, मुकेश कुमार तिवारी, कैलाश शर्मा, सत्यम शिवम्, दिलीप तिवारी,ज्योति खरे, महेंद्र मिश्र, श्यामल सुमन, इमरान अंसारी, मधुरेश सुमित, विनय दास, जीतेन्द्र जौहर, रिषभ देव शर्मा, रूप सिंह चंदेल, दीपक मशाल, रमेश तैलंग, सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी, सुभाष नीरव, डॉ उमेश महादोषी, मुहम्मद तारिक असलम, प्राण शर्मा, सूरज प्रकाश, विष्णु वैरागी, संजय भास्कर, विनय प्रजापति, शैलेन्द्र कुमार शर्मा, जय प्रकाश मानस, पद्म सिंह, किशोर चौधरी, ललित शर्मा, मुकेश चन्द्र , दीपक मिश्र, बलराम अग्रवाल, सलिल वर्मा , डॉ सुभाष राय , अमलेंदु उपाध्याय आदि ।
इसके अलावा सुषमा सिंह द्वारा प्रस्तुत ब्लॉग,ब्लोगर और ब्लोगिंग :एक प्रश्नोत्तरी, एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन का आलेख हिंदी ब्लोगिंग का ओस्कर : परिकल्पना सम्मान,विनय दास का आलेख हिंदी ब्लोगिंग का वैश्विक हस्तक्षेप, रवि रतलामी के बड़े काम के ब्लॉग, रश्मि प्रभा का आलेख ब्लोगिंग ने खोखले आदर्शों को बेनकाव कर दिया है,डॉ अरविन्द मिश्र का आलेख हिंदी ब्लोगिंग में विज्ञानं लेखन की संभावनाएं और डॉ जाकिर अली रजनीश का आलेख आओ ब्लॉग बनाएं पत्रिका की गरिमा को बढाने में सहायक सिद्ध हुआ है ।
साथ ही अविनाश वाचस्पति का व्यंग्य हिंदी ब्लोगिंग खुशियों का फैलाव है और डॉ प्रीत अरोड़ा का आलेख फेसबुक पर रिश्तों की असलियत सारगर्भित है । इसके अतिरिक्त इस अंक में 150 से ज्यादा हिंदी के महत्वपूर्ण ब्लोगर्स के इ मेल पते दिए गए हैं । कुल मिलाकर यह अंक अत्यंत संग्रहणीय है । मेरे समझ से यह अंक हर ब्लोगर्स के पास सुरक्षित होना चाहिए ।
वटवृक्ष के इस ब्लॉग दशक विशेषांक की सहयोग राशि है 100/-
वटवृक्ष के इस ब्लॉग दशक विशेषांक की सहयोग राशि है 100/-
पत्रिका प्राप्त करने के लिए संपर्क :
parikalpanaa@gmail.comravindra.prabhat@gmail.com
23 टिप्पणियां:
विस्तार से लिखा है आपने ... इस चर्चा में ...
वाह वाह क्या बात है, नक्कालों की नाक |
लम्बी होती जा रही, काट सके तो काट |
काट सके तो काट, बड़ी इ'स्टील लगाईं |
इ'स्टोलेन पद लेख, चाहिए बड़ी सफाई |
देखी चोर जमात, निरर्थक भाव जमाते |
निकलेगी बारात, सड़क पर दिखें पिटाते ||
उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
शास्त्री जी का पगलाना लाजमी है, आयोजकों ने उन्हें समारोह मे बोलने का मौका जो नहीं दिया । खुरपेंचिया जी और उनके शिष्य को तो कम से कम एक-एक टॉफी दे देना चाहिए था रवीन्द्र जी को । खैर आगे से देखिएगा आप लोग पड़ोसी धर्म निभा लीजिएगा टॉफी देकर । पंडित मनई है दोनों स्वाभिमान जाग जाता होगा । बेचारा ।
मुझे क़ोई आधिकारिक सूचना या निमन्त्रण भी नही आया था . मुझे केवल नेट से ही पता चला था की वोटो के आधार पर नारी ब्लॉग का चयन हुआ था . इस लिये मै टिकेट करवाने के बाद भी नहीं गयी क्युकी जब ऑनलाइन निमंत्र्ण मै अपने नाम को इस प्रकार से देखा . आप के कमेन्ट के बाद सुधार हुआ था लेकिन ऑनलाइन निमंत्र्ण की मूल प्रति अभी भी शास्त्री जी के ब्लॉग पर हैं .
ये भूल हैं , टंकन की गलती हैं ये आयोजक बेहतर जानते हैं . हा नारी ब्लॉग के लिये वोट मैने किसी से नहीं माँगा था . और मैने तो रेखा जी और आप को कहा भी था की क़ोई भी सदस्य इस को मंच पर ले सकता हैं क्युकी ये नारी ब्लॉग का हैं मेरा व्यक्तिगत नहीं .
क़ोई भी पुरूस्कार अनुपस्थिति में , पुरूस्कार पाने वाले तक पहुचाना शायद आयोजक का काम नहीं होता हैं .
लेकिन उस व्यक्ति से पूछना की उस पुरूस्कार का क्या करना हैं ?? ये भी जरुरी नहीं समझा गया ??
आयोजन समिति ने अपने अपने लिये ५-६ पुरूस्कार तक रख लिये { अभी गिन रही हूँ !!!:) }
बात केवल मिलने मिलाने की होती हैं तो अच्छा हैं ख़ुशी हुई की आप ने एन्जॉय किया आगे भी सब करे . ब्लॉग बने ही एंजोयमेंट के लिये हैं . ब्लॉग लेखन एज एंजोयमेंट वाह
kament mae yae link dena reh gaya
http://wwwvandanablog.blogspot.in/2012/09/blog-post.html?showComment=1346837577799#c4480782918969724865
इतनी विस्तृत जानकारी के लिए आभार.
hamne ye magazine lucknow me le li.. bethareen..
झूठ के पाँव नहीं होते रचना जी, जब मैंने आपके इस आरोप के परिप्रेक्ष्य मे रवीन्द्र जी से पूछा तो वे हतप्रभ रह गए उन्होने कहा कि मैंने तो दशक के सभी सम्मानित ब्लोगर्स को मेल 28 जुलाई को ही कर दिया था । उसके बाद रचना जी ने मुझे फोन भी किया था और कहा था कि मैंने टिकट बूक करा लिया है । उसके बाद उन्होने मुझे फिर फोन करके पूछा कि कार्यक्रम के लिए मैं कुछ पुस्तकें भेजना चाहती हूँ दिल्ली मेन किसे दे दूँ तो मैंने अविनाश जी का नाम सुझाया था । उन्होने वह मेल मुझे फॉरवर्ड भी किया है जो यहाँ प्रस्तुत है। मैं तो यही कहूँगा कि गुरग्रह से बचिए किसी पर इल्जाम सोच-समझकर लगाईए ।
ravindra prabhat
28 Jul
to bcc: Sameer, bcc: बी, bcc: indianwomanhas., bcc: arvind, bcc: Zakir
प्रिय महोदय/ महोदया
आपको यह अवगत कराते हुए अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है कि आगामी 27 .08 .2012 को देश व विदेश के ब्लॉगर लखनऊ मे जुटेंगे । नए मीडिया के सामाजिक सरोकार पर बात करेंगे । इस बहस-मुहाबिसे मे पिछले कुछ दिनों से चर्चा के केंद्र मे रहे इस नए मीडिया पर मंथन होगा। साथ ही सकारात्मक ब्लोगिंग को बढ़ावा देने वाले 51 ब्लॉगरों को 'तस्लीम परिकल्पना सम्मान-2011' से नवाजा जाएगा । साथ ही हिंदी ब्लोगिंग दशक के सर्वाधिक चर्चित पांच ब्लोगर और पांच ब्लॉग के साथ-साथ दशक के चर्चित एक ब्लोगर दंपत्ति को भी परिकल्पना समूह द्वारा सम्मानित किया जाएगा ।
यह सम्मान 27 अगस्त को राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह मे आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलनमे दिये जाएँगे। इस अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन का आयोजन तस्लीम व परिकल्पना समूह कर रहा है । सम्मेलन मे कई गंभीर विषयों पर चर्चा होगी । जैसे कि ब्लॉग, वेबसाईट, वेब पोर्टल,सोशल नेटवर्किंग साइट के सहारे अभिव्यक्ति की आज़ादी के नए द्वार के रूप मे अवतरित होने वाला मीडिया सामाजिक बंधनों को तोड़ने मे मुख्य भूमिका निभा रहा है। लेकिन अक्सर यह भाषायी मर्यादाओं व निजता के अधिकारों को छिन्न-भिन्न करता प्रतीत होता है ।
कहीं यह मीडिया आज़ादी के नाम पर गलत चीजों को तो बढ़ावा नहीं दे रहा है । यह एक अहम सवाल है जैस्पर मंथन होगा । सम्मेलन मे मीडिया से जुड़े देश-विदेश के अहम हस्ताक्षरों को बुलाया गया है । सकारात्मक ब्लोगिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस आयोजन को तीन सत्रों मे रखा गया है। पहले सत्र मे 'नए मीडिया की भाषाई चुनौतियाँ' दूसरे सत्र मे 'नए मीडिया के सामाजिक सरोकार' एवं तीसरे सत्र मे 'नया मीडिया दशा-दिशा-दृष्टि' पर विचार रखे जाएँगे ।
परिकल्पना समूह द्वारा इस अवसर पर आपके द्वारा संचालित ब्लॉग को "दशक के श्रेष्ठ ब्लॉग" के रूप में अलंकृत कर सम्मानित करने का निर्णय किया है . आपसे विनम्र निवेदन है कि इस अवसर पर उपस्थित होकर हमें कृतार्थ करें .
अपने आने का संपूर्ण विवरण तस्लीम के महामंत्री डॉ0 जाकिर अली ‘रजनीश’ (मो0 9935923334, ईमेलः zakirlko AT gmail DOT com) तथा अधोहस्ताक्षरी के मेल पर या मोबाईल पर दे सकते हैं।
भवदीय-
रवीन्द्र प्रभात
संयोजक परिकल्पना समूह
मोबाईल न. 9415272608
मैने तो रविद्र प्रभात जी को कभी फ़ोन नहीं किया हैं
मैने उनकी एक पोस्ट पर किताब सम्बंधित बात पूछी थी
मुझे क़ोई ओपचारिक सूचना नहीं मिली
मैने टिकेट इस लिये कैंसिल करा दिया क्युकी मेरा नाम जिस प्रकार से ऑनलाइन निमंत्र्ण में था वो औरो से बिलकुल भिन्न था , और वो पहला निमेंत्र्ण रेखा श्रीवास्तव ने मुझे भेजा था
झूठ बोलना मेरा काम नहीं हैं और झूठ के पाँव सही में नहीं होते
इस विषय पर मैने रेखा, अजय झा और वंदना दुबे तीन से बात भी की थी
मै फिर कह रही हूँ मैने किसी को भी फ़ोन नहीं किया हैं
नक्कालों से गले मिलो
नक्काल गले पड़ें तो
नक्काल ही करेंगे जी
हिंदी ब्लॉगिंग का
बेड़ा बखेड़ा रेहड़ा पार
पहले तो आपने कहा कि मुझे निमंत्रण नहीं मिला, फिर अब कुछ और कह रही हैं। बार-बार अपनी ही बातों से क्यों मुकर रही हैं । यह झूठ नहीं तो क्या हैमाननीया?
आप केवल मुद्दे की बात कीजिये, इधर-उधर की बातें करके गुमराह न करें ।
बुरे लोग भी ब्लोगिंग में हैं , सावधान करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया.
मैंने भी आपकी बात को आगे पहुंचाने की कोशिश की है.
मेरे ब्लॉग पर भी तशरीफ़ लायें.
http://blogkikhabren.blogspot.in/2012/09/blog-post_4265.html
गंदगी फैलाने वाले जहां कहीं भी रहेंगे, गंदगी फैलाएँगे ही । ब्लोगिंग इससे कैसे बचा रह सकता है । अभी ऊपर जिसप्रकार एक महिला बार-बार झूठ का सहारा लेकर अपना पक्ष रख रही थी, वह निसंदेह अशोभनीय है । आपने उन्हें प्रमाण भी दिया, फिर भी शांत नहीं हुयी । क्या करेंगे पांडे जी, यह अभिव्यक्ति का मुक्त माध्यम है । हाँ कीचड़ से दूर रहे,मैं यही सलाह दूंगा ।
महत्वहीन बातों को अत्यधिक महत्व न दीजिये, न ही महत्वपूर्ण बातों को छोडकर तुच्छ बातों पर मन को केन्द्रित कीजिये, अन्यथा आप अपनी प्रगति में रुकावट डालेंगे, जिनका हमारे वास्तविक कर्तव्यों से कोई संबंध नहीं होता। रचना की टिप्पणी से पूर्वाग्रह की बदबू आ रही है । खैर छोड़िए और आगे बढ़िए !
bahut achhi sakaratmak prastuti..
aabhar!
जानकारी के लिए आभार.....
@brajesh sinha
अभी ऊपर जिसप्रकार एक महिला बार-बार झूठ का सहारा लेकर अपना पक्ष रख रही थी, वह निसंदेह अशोभनीय है ।
shukriyaa log jaantae haen
हां ये सच है , रचना जी ने मुझसे इस बाबत और ठीक यही बात की थी , मैं दिनों श्रीमती जी की अस्वस्थता और कुछ शैक्षणिक दुनिया में दोबारा घुसने की व्यस्तता के कारण नियमित अनियमित होता रहा हूं , लेकिन सब देख सुन भी रहा हूं ,....और ऐसा पिछले पांच वर्षों से हम सब कर रहे हैं , मुझे खुशी होती है अब ये सोच कर कि आगे आने वाले ब्लॉगरों को इसी बहाने पहले से ब्लॉगिंग कर रहे ब्लॉगरों को पहचानने और सही तरह से से जानने के लिए यही पोस्टें निर्णायक होंगी । चूंकि मेरा नाम यहां लिया गया इसलिए मैंने यहां प्रतिक्रिया दी , अन्यथा अब हिंदी अंतर्जाल पर इतनी सारी पाठ्यसामग्री मौज़ूद है कि वो आसानी से लोगों को ब्लॉगिंग से पीछे की ओर ले जाएगी ।
अजय जी का नाम केवल प्रसंग वश दिया था , उस दिन जब ऑनलाइन निमंत्र्ण देखा तो उनको भी दिखाया था . इस के अलावा अजय जी का मेरी सोच , मेरे कमेन्ट या किसी भी बात से क़ोई लेना देना नहीं हैं
अगर उनका नाम लेना उन्हे पीड़ा दे गया तो मै क्षमा प्रार्थी हूँ
प्रिय मनोज जी,
आपसे हुई उस अछोटी सी मुलाकात ने मजा ला दिया। लखनऊ, विस्वविद्यालय का अतिथीगृह, सम्मेलन और उसका इंतजाम......
रविन्द्र जी, जाकिर भाई, सुमन जी, आपकी और शेष टीम को इस सफल और ऐतिहासिक आयोजन के लिए बधाई।
यह कमी केवल वो नही महसूस कर सकते हैं जो ब्लॉगिंग की दुनिया से जुड़े् तो हैं और इस सम्मेलन में शिरकत नही कर पाए।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
बहुत बदिया ....रविन्द्र जी का ब्लोगिंग के लिए योगदान सराहनीय है ....
एक टिप्पणी भेजें