शनिवार, 19 नवंबर 2011

ब्लॉग अकादमी हेतु तैयारियां शुरू,आपके सुझाव आमंत्रित


कल अचानक मेरी निगाह दैनिक जागरण और प्रभात खबर में प्रकाशित इस खबर पर पडी कि ब्लॉग अकादमी हेतु तैयारियां शुरू हो गयी है और यह वेहद ख़ुशी की बात है कि इसके प्रारूप पर मधेपुरा के ब्लॉगर और प्रखर साहित्यकार भाई अरविन्द श्रीवास्तव ने कार्य प्रारंभ कर दिया है . इस विषय पर जब मैंने दूरभाष पर रवीन्द्र प्रभात जी से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि "अकादमी के गठन पर अभी काफी कार्य करना होगा . हमें एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना होगा. यदि इस प्रक्रिया को हनुमान कूद की संज्ञा दी जाए तो शायद न किसी को अतिश्योक्ति होगी और न शक की गुंजायश हीं . इस विषय पर प्रथम चरण में  हम हिंदी तथा विभिन्न भारतीय भाषाओं के प्रखर विद्वानों से गहन मंत्रणा कर रहे हैं ताकि किसी ठोस नतीजे पर पहुंचा जा सके ."

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि " जब ब्लॉग अकादमी की परिकल्पना की गयी थी तब मैं लखनऊ ब्लॉगर असोसिएशन का अध्यक्ष था और उस समय मैंने लखनऊ ब्लॉगर असोसिएशन और परिकल्पना के संयुक्त तत्वावधान में इसे मूर्त रूप देने की सोची थी . व्यस्तताओं के कारण मैंने स्वयं को एल बी ए के नेतृत्व से अलग कर दिया, किन्तु मैं आज भी भावनात्मक रूप से एल बी ए के समस्त सदस्यों से जुड़ा हूँ . इसलिए संभव है कि आने वाले दिनों में जब ब्लॉग अकादमी की कार्यकारणी का गठन होगा तो उसमें एल बी ए के भी कुछ प्रगतिशील सदस्य शामिल होंगे .साथ हीं इससे कुछ प्रारंभिक और तकनीकी ब्लॉगर्स को जोड़ा जाएगा . विभिन्न भारतीय भाषाओं के कुछ वरिष्ठ और अनुभवी साहित्यकारों के साथ -साथ रंगकर्मी -संस्कृतिकर्मी और पत्रकारों को भी. ताकि वृहद् और व्यापक सोच को मूर्तरूप दिया जा सके."

उन्होंने बताया कि आगामी ९-१० दिसंबर को कल्याण(मुम्बई) में पहली बार यु. जी. सी. की ओर से सरकारी स्तर पर दो दिवसीय ब्लॉगर संगोष्ठी आयोजित की जा रही है जहां एक साथ कुछ अनुभवी ब्लॉगर उपस्थित होकर इस दिशा में आगामी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों पर विचारविमर्श करेंगे. अब तक प्राप्त सूचना के अनुसार इसमें रवि रतलामी (भोपाल),अशोक मिश्र (मेरठ),अविनाश वाचस्पति(दिल्ली), शैलेश रतवासी(दिल्ली),सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी (लखनऊ) आदि ब्लौगरों के साथ-साथ मैं भी शिरकत कर रहा हूँ. वहां से मैं ११ दिसंबर को कल्याण से लौटने के बाद मैं  १५ दिसंबर को बैंकॉक के लिए प्रस्थान कर जाऊंगा जहां चतुर्थ अन्तराष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन आयोजित है . यह सम्मलेन १५ से २१ तक थाईलैंड के विभिन्न शहरों यथा बैंकॉक,पटाया, कौल्हौर्न,आईलैंड में आयोजित होंगे. १७ दिसंबर को बैंकॉक में मुझे ब्लॉगिंग में उल्लेखनीय कार्य हेतु सृजन श्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा. २२ दिसंबर को मैं लखनऊ वापस आ रहा हूँ जिसके बाद वहुप्रतिक्षित परिकल्पना ब्लॉग विश्लेषण पर कार्य करूंगा."

श्री रवीन्द्र प्रभात ने यह भी कहा कि "अकादमी के गठन में मुझे सबके सुझाव चाहिए . हर किसी के महत्वपूर्ण सुझाव का सम्मान किया जाएगा. उसे गठन की प्रक्रिया में सम्मिलित किया जाएगा. इसलिए इस दिशा में हर किसी के सुझाव अपेक्षित है."




यह पोस्ट लिखे जाने तक आज के हिन्दुस्तान में भी इस आशय की खबर प्रकाशित हुई है ,जो इसप्रकार है : 


शनिवार, 12 नवंबर 2011

लोकसंघर्ष सुमन प्रब्लेस के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोनीत

१७ फरवरी २०१२ को प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ एक वर्ष का हो जाएगा . उल्लेखनीय है कि १७ फरवरी २०११ को ज्ञानरंजन जी के घर से लौटकर गिरीश बिल्लोरे मुकुल जी ने इस साझा ब्लॉग पर पहला पोस्ट डाला था. ज्ञान रंजन जी प्रगतिशील विचारधारा के अग्रणी संपादकों और सर्जकों में से एक हैं . उनसे और उनकी यादों इस साझा ब्लॉग का शुभारंभ होना अपने आप में गर्व की बात है. मुझे याद है जब इस साझे ब्लॉग की परिकल्पना मैंने की थी,तब मुझे कतई इस बात का भान नहीं था कि यह धीरे-धीरे एक प्रतिबद्ध संगठन का रूप ले लेगा

मगर हाँथ कंगन को आरसी क्या ? आज मुझे इस बात का फक्र है कि इस साझे ब्लॉग से रवीन्द्र प्रभात,अविनाश वाचस्पति,अशोक कुमार पाण्डेय,कौशलेन्द्र,तेजवानी गिरधर,निर्मला कपिला,एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन,डा. जाकिर अली रजनीश,एस.एम्. मासूम,अख्तर खान अकेला, रश्मि प्रभा जी जैसे अनेक प्रगतिशील बलॉगर जुड़े और इस साझे ब्लॉग के माध्यम से प्रगतिशील चिंतनधारा को आगे बढाया.

आपको याद होगा कि २० फरवरी २०११ को सार्वजनिक रूप से मेरे द्वारा यह घोषणा की गयी थी कि "प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ के रूप में एक ऐसे अंतर्राष्ट्रीय मंच का गठन किया गया है जहां हम आपके प्रगतिशील विचारों को सामूहिक जनचेतना से जोड़कर हिंदी की समृद्धि की दिशा में कार्य करते हुए उसे एक नया आयाम देंगे,जो- अकेले संभव नहीं, हमें आपका साथ चाहिए .......हमारी कोशिश है कि इस सामूहिक ब्लॉग से वरिष्ठ और अनुभवी चिट्ठाकारो को जोड़ा जाए और उनके माध्यम से नए और प्रतिभावान लेखकों/चिट्ठाकारों को अंतर्राष्ट्रीय फलक पर खुलकर अपनी चिंतनधारा को प्रवाहित करने का अवसर प्रदान किया जाए !इसके लिए हम समय-समय पर देश के प्रमुख शहरों में गोष्ठी/सेमीनार और कार्यशालाओं के आयोजन पर विचार कर रहे हैं ,साथ ही इस सशक्त मंच के सुचारू रूप से संचालन हेतु एक सलाहकार मंडल के चयन की भी हमारी योजना है !यदि आप चाहते हैं कि आपकी प्रगतिशील चिंतनधारा व्यापक जनचेतना से जुड़कर पूरी दुनिया में फैले, तो इस मंच पर आपका स्वागत है, आपको केवल अपना नाम,शहर और ई-मेल आई डी नीचे टिपण्णी बॉक्स में अंकित कर देना है !"

मुझे इस बात की ख़ुशी है कि प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ से जुड़े २५ सदस्यों ने अपने अमूल्य सुझाव प्रेषित किये जिसमें से १६ सदस्यों ने इस संगठन के नेतृत्व की जिम्मेदारी रवीन्द्र प्रभात जी को सौंपने की बात कही. किसी ने उन्हें मुख्य निर्णायक तो किसी ने अध्यक्ष बनाने की अनुशंसा की . इन्हीं अनुशंसाओं के आधार पर मैंने आदरणीय रवीन्द्र प्रभात जी से प्रब्लेस के अध्यक्ष पद स्वीकार करने का अनुरोध किया, किन्तु उन्होंने बार-बार यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि "मैं ऐसे महत्वपूर्ण पद के निर्वहन हेतु स्वयं को अक्षम मानता हूँ . आप किसी सुलझे हुए बलॉगर यह जिम्मेदारी दें और जब कभी भी मेरी आवश्यकता महसूस हो मेरा सहयोग और सुझाव दोनों ले लिया करें . मैं हमेशा प्रब्लेस के साथ खडा रहूँगा. इस बात का विश्वास दिलाता हूँ ."

उन्हें मनाने का क्रम विगत छ: महीने से चल रहा था,क्योंकि मेरा मानना है कि रवीन्द्र जी हिंदी ब्लॉग जगत के वेहद समर्पित और सकारात्मक चिट्ठाकारों में से एक हैं और उनके नेतृत्व में निश्चित रूप से प्रब्लेस नया कीर्तिमान स्थापित करने में कामयाब हो सकता है. खैर हमें फरवरी माह में प्रब्लेस का प्रथम महाधिवेशन मनाना है और मैंने तय किया है कि इस महाधिवेशन में हम अपने नए अध्यक्ष का विधिवत चुनाव करेंगे, कार्यकारणी का गठन करेंगे और तमाम पदाधिकारियों का चुनाव करते हुए इसे एक मजबूत संगठन का रूप देंगे . संभव है प्रब्लेस का प्रथम वार्षिक महाधिवेशन लखनऊ में ही हो. 

इसलिए प्रथम वार्षिक महा अधिवेशन से पूर्व एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन को प्रब्लेस के कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी प्रदान की जा रही है ,क्योंकि प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ के मनोनीत कार्यवाहक अध्यक्ष श्री रणधीर सिंह सुमन हिंदी ब्लॉग जगत के चर्चित ब्लॉग पोर्टल "परिकल्पना ब्लॉगोत्सव"/लोकसंघर्ष तथा वटवृक्ष पत्रिका के प्रबन्ध सम्पादक तथा बाराबंकी जनपद के वरिष्ठ फौजदारी अधिवक्ता हैं साम्यवादी विचारधारा से गहरे प्रभावित हैं और ब्लॉगजगत में लोकप्रिय भी।

उनका मानना है कि प्रब्लेस के केन्द्र में मनुष्य की सामूहिक चिंताएं है इसीलिए इसे व्यक्तिगत मनोविनोद,जय-पराजय, सुख-दुख से ऊपर सामूहिक प्रेम, बन्धुत्व, स्वतंत्रता और समानता को प्रस्तुत करने का माध्यम बनाना होगा । नये मूल्यों के अनुरूप वर्ग, वर्ण,संप्रदायों और जातियों बंटकर ब्लोगिंग करने की प्रवृति से ऊपर उठना होगा ।

मुझे उम्मीद हीं नहीं वरन पूरा विश्वास है कि श्री सुमन जी के नेतृत्व में प्रगतिशील चिट्ठाकारों और चिट्ठों के हित में कार्य करने हेतु ज्यादा से ज्यादा ब्लोगरों को इससे जोड़ा जाएगा और उनके माध्यम से एक नई क्रान्ति की प्रस्तावना की जायेगी इस आन्दोलन को एक मुकाम तक पहुंचाना है, केवल आप प्रबुद्ध जनों का साथ चाहिए !

शुभकामनाओं के साथ-
आपका-
मनोज पाण्डेय


सोमवार, 10 अक्तूबर 2011

ब्लागिंग पर रवीन्द्र प्रभात की अनुपम पहल ....



इतिहास का मतलब दिक्कालीय परिवेश और घटनाओं के दस्तावेजीकरण का है और इसके लिए इंतज़ार किया जाना प्रमाणिकता को बनाए रखने के लिहाज से जरुरी नहीं है। इतिहास द्रष्टा द्वारा सीधे खुद लिखने के बजाय जब भी कालान्तर में लोगों द्वारा बिखरे हुए साक्ष्यों और तथ्यों के आधार पर इतिहास लिखा जाता है प्रमाणिकता के साथ समझौता करना पड़ता है।


सृजनगाथा में रवीन्द्र प्रभात की ताजातरीन पुस्तक हिंदी ब्लोगिंग का इतिहास पर  डा. अरविन्द मिश्र की सारगर्भित समीक्षा पढ़ने के लिए यहाँ किलिक करें :

ब्लागिंग पर रवीन्द्र प्रभात की अनुपम पहल .... New Window 

शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

क्या हिंदी ब्लॉगजगत इतना महत्वपूर्ण है ?


पुस्तकें तो बहुत पढ़ी होगी आपने, किन्तु कुछ पुस्तकें ऐसी होती है जो इतिहास के पन्नों पर अपनी अमिट छाप छोड़ जाती है . ऐसे ही दो पुस्तकों से हमें रूबरू करा रहे हैं मशहूर पत्रकार फज़ल इमाम मल्लिक और चर्चित ब्लॉगर डा. जाकिर अली रजनीश . सृजनगाथा में छपी इन दोनों पुस्तकों के बारे में बता रहे हैं अपने-अपने फन में माहिर दोनों शाख्शियतें 




रविवार, 11 सितंबर 2011

विश्वब्यापी विधा बन गयी ब्लॉगिंग

"विश्वब्यापी विधा बन गयी ब्लॉगिंग" ये कहा है मेरी दुनिया मेरे सपने ब्लॉग के संचालक डा. जाकिर अली रजनीश ने अमर उजाला के आज के ताज़ा संस्करण में .

इसी क्रम में एक विशेष साक्षात्कार के दौरान हिंदी के मुख्य ब्लॉग विश्लेषक और २५ वर्षों से लेखन कर रहे साहित्यकार श्री रवीन्द्र प्रभात जी ने स्वीकार किया है की ब्लॉगिंग अभिव्यक्ति की नयी क्रान्ति है .

यह हम सभी के लिए वेहद गर्व की बात है की अब प्रिंट मीडिया ब्लॉगिंग के महत्व को समझाने लगा है या फिर इसकी ताकत को महसूस करने लगा है . आज लखनऊ एक मात्र ऐसा शहर बन चुका है जहां हिंदी ब्लॉगिंग को नया आयाम देने वाले दो आदर्श ब्लॉगर निवास करते हैं .

ज्ञातव्य हो की आज लखनऊ स्थित जयशंकर प्रसाद सभागार में श्री रवीन्द्र प्रभात जी की पुस्तक " हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास" का लोकार्पण है. इस पुस्तक के लोकार्पण के पश्चात रवीन्द्र जी हिंदी ब्लॉगिंग के एकलौते इतिहासकार के रूप में प्रतिष्ठापित हो जायेंगे . मेरी हार्दिक शुभकामनाएं !

शुक्रवार, 24 जून 2011

अब कहो न प्यार है !

अरे गज़ब : मेरे एक मित्र ने मुझे मेल से यह तस्वीर भेजी है, यह घटना पटना के हबीबगंज थाने का है, पता नहीं सच्ची है या झूठी .....जो भी हो है मगर दिलचस्प,क्या ?

शनिवार, 21 मई 2011

साहित्य और ब्लॉगिंग हेतु तीन शिखर सम्मान

प्रगतिशील  ब्लॉग लेखक संघ एक ऐसा  अंतर्राष्ट्रीय मंच है जहां  हम आपके प्रगतिशील विचारों को सामूहिक जनचेतना से जोड़कर हिंदी की समृद्धि की दिशा में कार्य करते हुए उसे  एक नया आयाम देने की   कोशिश कर रहे है .....हम इस सामूहिक ब्लॉग से वरिष्ठ और अनुभवी चिट्ठाकारो को जोड़कर  उनके माध्यम से नए और प्रतिभावान लेखकों/चिट्ठाकारों को अंतर्राष्ट्रीय फलक पर खुलकर अपनी चिंतनधारा को प्रवाहित करने का अवसर प्रदान कर रहे हैं !

इसके लिए हम समय-समय पर देश के प्रमुख शहरों में गोष्ठी/सेमीनार और कार्यशालाओं के 
आयोजन पर विचार कर रहे हैं, इन्ही उद्देश्यों की पूर्ति के अंतर्गत हम आगामी जुलाई-अगस्त महीने में प्रब्लेस के वार्षिक महाधिवेशन की तैयारियों में जुटे हैं ! यह एक दिवसीय अधिवेशन पटना या लखनऊ में आयोजित होंगे, जिसकी सूचना समय से दे दी जायेगी !
इस अवसर पर हम दो साहित्यिक विभूतियों के नाम पर क्रमश: फणीश्वरनाथ रेणु कथा सम्मान और आचार्य जानकीबल्लभ शास्त्री काव्य सम्मान देने पर विचार कर रहे हैं ! साथ ही सामाजिक जनचेतना से जुड़कर हिंदी ब्लॉगिंग को आयामित करने की दिशा में कार्य करने वाले ब्लॉगर हेतु प्रबलेस हिंदी ब्लॉग सम्मान देने पर भी विचार कर रहे हैं, जिसके अंतर्गत ११०००/- नगद, सम्मान पत्र, स्मृति चिन्ह, अंग वस्त्र आदि किसी विशिष्ट व्यक्ति द्वारा प्रदान किये जायेंगे !
फणीश्वरनाथ रेणु कथा सम्मान के लिए ग्रामीण शब्दावली में पारंगत एक ऐसे कथाकार-उपन्यासकार (पुरुष अथवा महिला )का चयन किया जाएगा, जिनके कथा संग्रह अथवा उपन्यास वर्ष-२०१० और २०११ के बीच प्रकाशित हुए हो !
आचार्य जानकीबल्लभ शास्त्री काव्य सम्मान के लिए एक ऐसे हिंदी कवि अथवा कवियित्री का चयन किया जाएगा, जिनके काव्य संग्रह वर्ष-२०१० और २०११ के बीच प्रकाशित हुए हो ! 
और प्रबलेस हिंदी ब्लॉग शिखर सम्मान के लिए ऐसे हिंदी ब्लॉगर (पुरुष या महिला ) का चयन किया जाएगा, जिनके हिंदी ब्लॉगिंग पर कोई सार्थक पुस्तक वर्ष-२०१० और २०११ के बीच प्रकाशित हुए हो !
तीनों सम्मान हेतु लेखक स्वयं अथवा लेखक के सृजनात्मक पक्ष से प्रभावित कोई भी व्यक्ति अनुमोदित कर सकता है , अनुमोदित पुस्तक प्रेषित करने की अंतिम तिथि है १५जून २०११ तथा प्रेषित करने का पता है :
मनोज कुमार पाण्डेय
संयोजक : प्रबलेस
फकीराना मिशन के उत्तर, बानूछापर, पो बानूछापर,
बेतिया,पश्चिम चंपारण-845438(बिहार)

अनुमोदित पुस्तक भेजने के बाद निम्नलिखित ई-मेल पर सूचना अवश्य प्रेषित करें :
 pragatishilblogar@gmail.com

सोमवार, 25 अप्रैल 2011

रवीन्द्र प्रभात और महेंद्र सिंह धोनी में क्या समानताएं है ?

रवीन्द्र प्रभात जी हिंदी ब्लॉगजगत के  एक ऐसे धूमकेतु है, जो महेंद्र सिंह धोनी की तरह दो प्रदेशों से ताल्लुक रखते हैं, उत्तर प्रदेश और बिहार से . उल्लेखनीय है कि रवीन्द्र प्रभात मूलत: उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के रहने वाले हैं, किन्तु इनका जन्म और इनकी परवरिश हुई है बिहार के सीतामढ़ी में, जहां इनके पिता बिहार सरकार के चकबंदी विभाग में कार्यरत थे, वहीँ से वे सेवानिवृत भी हुए हैं .



अपने प्रारंभिक दिनों में रवीन्द्र प्रभात सीतामढ़ी के एक डिग्री कॉलेज में भूगोल पढ़ाते थे .  ने नब्बे के दशक में स्थानीय स्तर पर ही जीविकोपार्जन के साथ साहित्य साधना और काब्य यात्रा की शुरूआत की। वे स्थानीय स्तर पर वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र कुमार के संपादकत्व में तबके लोकप्रिय समाचार पत्र खोजबीन पाक्षिक सहित तत्कालीन विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में नियमित छपते रहें हैं। श्री प्रभात अंतरंग संस्था के माध्यम से साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक गतिविधियों से भी जुड़े रहें। तबके बिहार शिक्षा परियोजना के वातावरण निर्माण व लोक भागीदारी उप-समिति के बाल मेला के आयोजन व विभागीय पत्रिका भोर के प्रकाशन में सक्रिय रहें। इस दौरान फगुनहट का प्रकाशन सहित काब्य गोष्ठियों के आयोजन में अनवरत जुड़े रहें। बाद में बेहतर जीविकोपार्जन के अवसर मिलने पर उत्तर प्रदेश के एक कॉपरेरेट कम्पनी से जुड़ गये और सम्प्रति इसके लखनऊ स्थित प्रशासनिक कार्यालय में ऊॅंचे ओहदे के साथ कार्यरत हैं। जहॉं काब्य सृजन, साहित्य चिंतन, लेखन के साथ साथ रचनाधर्मिता के अभिनव प्रयोग की यात्रा निरन्तर चल रही है। अब ये पूरी तरह से लखनऊ के वाशिंदे हैं और यहीं से हिंदी ब्लॉगिंग के नए युग का शंखनाद कर रहे हैं !

यह रहस्योद्घाटन किया है राष्ट्रीय सहारा के पटना संस्करण में आज दिनांक २५.०४.२०११ को प्रकाशित एक वृहद् रपट ने, लीजिए आप भी महसूस कीजिए  रवीन्द्र प्रभात जी के वृहद् प्रभामंडल को :

यह फीचर बिहार के सभी संस्करणों में एक साथ भिन्न-भिन्न रूपों में भिन्न-भिन्न एंगिल से एक साथ प्रकाशित किया गया है ....... इसे आप ऑन लाईन भी  भी राष्ट्रीय सहारा के इस यु आर एल : http://rashtriyasahara.samaylive.com/epapermain.aspx?queryed=13 पर किलिक करके १० वें पृष्ठ पर जाकर पढ़ सकते है !

बुधवार, 9 मार्च 2011

हिंदी ब्लॉगिंग को अभी सही और सकारात्मक दिशा की दरकार

हिंदी ब्लॉगिंग जिस प्रकार ७ वर्ष की अल्पायु में कामयाबी की नयी परिभाषा गढ़ने में कामयाब रही है , उससे एक सकारात्मक संकेत प्राप्त होता है कि आने वाले समय में यह द्रुत गति से आगे बढ़ेगी ! आज हिंदी के ब्लॉगर पूर्ण समर्पण और निष्ठा से हिंदी ब्लागिंग का परचम लहराने में जुटे हैं। भले ही इसका कोई ठोस आर्थिक मॉडल न तैयार हो पाया हो, मगर स्वांतः सुखाय के लिए ही सही वे सकारात्मक दिशा में ब्लॉगिंग कर रहे हैं। किसी के लिए खुद को अभिव्य्कत करने का माध्यम है ब्लॉग,तो किसी के लिए भड़ास निकालने का।


यह सर्वथा सत्य है कि ब्लॉगिंग का आविर्भाव न तो अभिव्यक्ति के औजारों से हुआ है और न ही अकादमिक प्रशिक्षण केंद्रों में रहकर इसका कोई मानक रूप दिया गया है। जिस समय हिंदी समाज हिंदी का ग्लोबल स्तर पर विस्तार देने के क्रम में संगोष्ठियों में रमा रहा, ठीक उसी समय गैर हिंदी विभागी लोग हिंदी फांट, तकनीक और सॉफ्टवेयर को लेकर लगातार माथापच्ची करते रहे। लेकिन हिंदी ब्लॉगिंग में आज की स्थिति पहले की तुलना में काफी भिन्न है , यदि आज कोई भी शोद्धार्थी संवेदनशील होकर शोध करना चाहे , तो संभव है कि ब्लॉग पर ही उसे इसपर कई नयी झलकियां मिल जाए। विज्ञान और प्रौद्योगिकी को लेकर हिंदी लेखन का व्यावहारिक प्रयोग जिसप्रकार ब्लोऔग पर किये जा रहे हैं उससे ये उम्मीद बंधती है आने वाला समय केवल और केवल हिंदी ब्लॉगिंग का ही है ! इसमें कोई संदेह नहीं आने वाले समय में ब्लॉगिंग ही मुख्यधारा में आ जाए और किताब हाशिये पर !

एक सामूहिक प्रयास करके यदि भारत में 54 करोड़ हिंदीभाषी और विदेशों में बसे करीब 40 लाख हिंदीभाषियों के बीच ब्लॉग के माध्यम से पारस्परिक संवाद की स्थिति बनायी जाए तो हम वसुधैव कुटुंबकम की भावना को चरितार्थ करने में सफल हो सकते हैं ! वरिष्ठ ब्लौगर अविनाश वाचस्पति का मानना है कि "आने वाले समय में हिंदी ब्लॉगिंग मोबाईल की तरह बढ़ेगी",वहीँ हिंदी के मुख्या ब्लॉग विश्लेषक रवीन्द्र प्रभात जी का मानना है कि "ब्लोगिंग की दुनिया पूरी तरह स्वतंत्र,आत्म निर्भर और मनमौजी किस्म की है ! यहाँ आप स्वयं लेखक, प्रकाशक और संपादक की भूमिका में होते हैं !ब्लॉग की दुनिया समय और दूरी के सामान अत्यंत विस्तृत और व्यापक है !यहाँ केवल राजनीतिक टिप्पणियाँ और साहित्यिक रचनाएँ ही नहीं प्रस्तुत की जाती वल्कि महत्वपूर्ण किताबों का इ प्रकाशन तथा अन्य सामग्रियां भी प्रकाशित की जाती है . आज हिंदी में भी फोटो ब्लॉग, म्यूजिक ब्लॉग, पोडकास्ट, विडिओ ब्लॉग, सामूहिक ब्लॉग, प्रोजेक्ट ब्लॉग, कारपोरेट ब्लॉग आदि का प्रचलन तेजी से बढ़ा है ! यानी पत्रिकाओं की तुलना में ब्लॉग सर्वाधिक मॉस से जुड़ा हुआ माध्यम है ! वर्ष-२०१० में हिंदी ब्लोगिंग के चहुमुखी विकासमें भले ही अवरोध की स्थिति बनी रही पूरे वर्ष भर,किन्तु बुद्धिजीवियों का एक बड़ा तबका अपने इस आकलन को लेकर करीब-करीब एकमत है कि आने वाला कल हमारा है यानी हिंदी ब्लोगिंग का है ।"


उनका यह भी मानना है कि " हिंदी चिट्ठाकारी उर्जावान ब्लोगरों का एक ऐसा बड़ा समूह बनता जा रहा है जो किसी भी तरह की चुनौतियों पर पार पाने में सक्षम है और उसने अपने को हर मोर्चे पर साबित भी किया है । वस्तुतरू विगत वर्ष की एक बड़ी उपलब्धि और साथ ही आशा की किरण यह रही है कि ब्लॉग के माध्यम से वातावरण का निर्माण केवल वरिष्ठ ब्लोगरों ने ही नहीं किया है ,अपितु एक बड़ी संख्या नए और उर्जावान ब्लोगरों की हुई है, जिनके सोचने का दायरा बहुत बड़ा है । वे सकारात्मक सोच रहे हैं, सकारात्मक लिख रहे हैं और सकारात्मक गतिविधियों में शामिल भी हो रहे हैं ।"


जबकि प्रमुख ब्लोगर जी. के. अवधिया का मत हिंदी ब्लॉगिंग के सन्दर्भ में कुछ इसप्रकार है " महान ब्लोगर वे होते हैं जो हिन्दी ब्लोगिंग के उद्देश्य एवं लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहते हैं और यह तो आप जानते ही हैं कि हिन्दी ब्लोगिंग का उद्देश्य न तो रुपया कमाना है, न अपने मातृभाषा की सेवा करना और नेट में उसे बढ़ावा देना है और ना ही पाठकों को उसके पसन्द की जानकारी ही देना है क्योंकि रुपया की हमें कुछ विशेष जरूरत ही नहीं है, हम आगे बढ़ेंगे तो हिन्दी अपने आप ही आगे बढ़ जायेगी ....!"


कुलमिलाकर यही कहा जा सकता है कि ब्लॉगिंग के रूप मे हम सबको एक ऐसा मंच प्राप्त हुआ है…जिसके माध्यम से हम हिन्दी भाषा मे अपने विचार सुगमता पूर्वक जन सामान्य तक पहुंचा सकते हैं, क्योंकि लेखन एक ऐसी शक्ति है जिसके द्वारा बड़ी से बड़ी क्रान्ति घटित की जा सकती है !


मैं तो यही कहूंगा कि इस ताकत का प्रयोग हमे अत्यंत सावधानीपूर्वक करना होगा नहीं तो कहीं ऐसा न हो की लाभ के स्थान पर हानि हो जाये ! कभी कभी इस मंच पर यह देखने को मिलता है कि लोग उनको मिलने वाली प्रतिक्रियाओं से व्यथित हो उठते हैं और फलस्वरूप कई बार आपा तक खो देते हैं जो निश्चित रूप से हिंदी ब्लॉगिंग के लिए वेहतर नहीं माना जा सकता ! इस संसार मे हर व्यक्ति के मत समान नहीं होते,विचारों मे भेद होना स्वाभाविक है,लेकिन एक स्वस्थ वाद विवाद के फलस्वरूप ही हम किसी सही निष्कर्ष पर पहुँचने मे सफल हो पाएंगे ! मेरी समझ से ब्लोगिग का उदेश्य है किसी भी समस्या अथवा विषय का तार्किक अनुसंधान, लेकिन यदि हम विचारों के ग्राह्य नहीं हो पाएंगे तब तक निष्कर्ष पर पहुँचना दूर कि कौड़ी ही साबित होगी ! विचारकों का ऐसा मानना है कि ब्लोगिंग वर्तमान परिपेक्ष्य मे बहुत महत्वपूर्ण विधा है ! इसलिए एक कुशल ब्लॉगर का यही धर्म होना चाहिए कि वह सकारात्मक,प्रेरणादायक, ऊर्जावान, विचारों को लेकर, समस्याओं के समाधान को लेकर, खुशियों के पलों को आपस मे बांटे और हिंदी ब्लॉगिंग के इस पावन मंच पर इस हिंदी और हिंदी भाषा-साहित्य के विस्तार को सकारात्मक गति प्रदान करे !
() () ()

सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

बेलनटाईट डे

आज सुबह-सुबह जब मेरी तंद्रा भंग हुई

joke
देखकर दृश्य हालाते तंग हुई
पत्नी ने कहा-
बेटे को जल्दी स्कूल छोड़ आओ
लौटते हुए मण्डी से सब्जियां भी  लेते आओ
और हाँ यह बताओ बिटिया की फीस अभी तक क्यों नहीं भरी ?
ऐसा कहते हुए बिकराल रूप धारण कर चुकी थी मेरी फुलझड़ी
मैंने कहा-
भाग्यवान आज तो कम से कम मुस्कुरा कर बोलो
बोलने से पहले जुवान को तोल लो फिर बोलो  
उसने कहा क्यों आज कोई सैलरी डे है ?
मैंने कहा नहीं भाग्यवान आज वैलेंटाइन डे है !

श्रीमति जी भांप चुकी थीं मेरा आचरण
हटाती हुई मेरे बिस्तर का आवरण
कहा-
बनते हो मुरली मनोहर मदन मुरारी
और कहते हो कि मैं हूँ एक पत्नी व्रतधारी।
आज तुझे घर से बाहर नहीं जाने दूँगी
वैलेंटाइन डे का त्यौहार घर पर ही मनाऊंगी ।।
मैंने मन ही मन सोचा कि बेटा यह बताकर आज तुम फंस गए
वैलेंटाइन डे के चक्कर में बेलन टाईट डे की फांस में फंस गए
आब तो-
सुबह के भूले जब शाम को घर आओगे
तो वैलेंटाइन डे नहीं बेलन टाईट डे पाओगे। 
तो मित्रों !
मैं चला बेलन टाईट डे मनाने
आप क्या मनाओगे ?
इस मंहगाई के मायाजाल में
अपनी रूठी हुई पत्नी को कैसे मनाओगे ?
कोई इल्म हो तो अवश्य बताना
वैलेंटाइन डे को बेलन टाईट डे  बनने से बचाना !

जो कुवांरे हैं उन्हें-
वैलेंटाइन डे की प्यार भरी शुभकामनाएं
और जो विवाहित हैं उन्हें
ऊपर वाला मुसीबत से बचाए !!
() मनोज पाण्डेय

मंगलवार, 18 जनवरी 2011

खटीमा ब्लोगर मीट में पढ़ा गया रवीन्द्र प्रभात का आलेख अभिव्यक्ति में




विगत  दिनों खटीमा ब्लोगर मीट की गूँज पूरी दुनिया में सुनाई दी, आज खटीमा ब्लोगर मीट में रवीन्द्र प्रभात जी की अभिव्यक्ति को  अभिव्यक्ति पत्रिका में देखकर सुखद एहसास हुआ !

 
उल्लेखनीय है कि वहुचर्चित खटीमा ब्लोगर मीट के दौरान विषय प्रवर्तन करते हुए वहुचर्चित ब्लोगर रवीन्द्र प्रभात जी ने "हिन्दी भाषा और साहित्य में चिट्ठाकारिता की भूमिका पर ऐतिहासिक उद्वोधन किया था,जिसे अभिव्यक्ति पत्रिका ने पूरे सम्मान के साथ प्रकाशित किया है ......पूरे आलेख को पढ़ने के लिए यहाँ किलिक करें

रवीन्द्र प्रभात जी की अभिव्यक्ति यु ट्यूब पर भी सुने जा सकते हैं - 



लिंक : http://www.youtube.com/watch?v=b-fsJc3q5H4&feature=BF&list=ULH1tExJ1zPe4&index=7

मंगलवार, 11 जनवरी 2011

हिंदी चिट्ठाकारी उर्जावान ब्लोगरों का एक बड़ा समूह बनता जा रहा है : रवीन्द्र प्रभात



मुझे सात जनवरी को उच्चारण पर आदरणीय डा रूप चन्द्र शास्त्री जी के खटीमा आने का आमंत्रण दिखा, उसमें अविनाश जी, रवीन्द्र प्रभात जी, सुमन जी के आने की सूचना देखकर मैं भी उत्साहित हुआ और सोचा कि जब सतीश सक्सेना ने मुझे बेनामी ब्लोगर कह ही दिया है तो क्यूँ न इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर उनके मेरे बारे में जो बेनामी होने का भ्रम है उसे तोड़ ही दिया जाए ! इससे दोनों कार्य सिद्ध हो जायेंगे मेरे , पहला ब्लॉग जगत के महारथियों से मुलाक़ात भी हो जायेगी और ब्लॉगजगत के
बड़के  भैया का भ्रम भी टूट जाएगा !

मैंने शास्त्री जी को मेल भेज दिया कि मैं आ रहा हूँ , ९ जनवरी की सुबह खटीमा पहुँच जाऊंगा ! अपने वादे के अनुसार मैं नियत तिथित को नियत समय पर खटीमा पहुँच गया, और शास्त्री जी का आथित्य सत्कार, अविनाश जी की वाक्पटुता, राजीव तनेजा जी की सात्विक प्रवृति, पद्म सिंह का गांभीर्य, पवन चन्दन की चुटीली टिप्पणियों तथा सुमन जी, केवल राम जी की आत्मीयता के साथ-साथ रवीन्द्र प्रभात जी के व्यक्तित्व का मैं कायल हो गया !

अब खटीमा में ९ जनवरी को क्या हुआ यह कई लोगों ने बताया,मगर दूसरे दिन १० तारीख की हम अपनी महेन्द्रनगर की  अविस्मरनीय यात्रा के बारे में आज बताने जा रहा हूँ-

सुबह-सुबह हम लोगों ने पैदल विदेश यात्रा करने का निर्णय लिया। खटीमा टनकपुर मार्ग पर स्थित बनबसा से करीब 15किमी दूर महेन्द्रनगर स्थित है जो एक समय विदेशी बाजार के कारण आकर्षण का केन्द्र बिन्दु था। सुमन जी की ये ख्वाहिश थी,रवीन्द्र प्रभात जी ने भी मुस्कुराकर अपनी सहमति दे दी ! फिर आदरणीय शास्त्री जी हमारे कमरे में प्रविष्ट हुए और कहा कि चलिए बनाबासा तक मैं अपनी गाडी से छोड़ देता हूँ !

रास्ते भर शास्त्री जी उस क्षेत्र की जानकारियाँ देते जा रहे थे और हम लोगों का ज्ञानवर्द्धन करते जा रहे थे!जब  हम लोग बनाबासा पहुंचे तो डा रूप चन्द्र शास्त्री जी ने कहा कि "महेन्द्रनगर का रास्ता बनबसा डैम से होकर जाता है  जो आजादी से कुछ समय पूर्व ही बनना शुरू हुआ था। उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी नहर शारदा नहर यहीं से निकलती है पास में ही लोहियाहेड नामक स्थान पर एक जलविद्युत परियोजना भी है। डैम को पार करते ही भारतीय सीमा समाप्त हो जाती है यहीं पर भारतीय चौकी है। यहाँ से करीब 2 किमी दूर गड्डा चौकी नेपाली चेक पोस्ट है। गड्डा चौकी से महेन्द्रनगर के लिये बस चलती है। "

इतना कहकर उन्होंने हम लोगों से विदा लिया और  रवीन्द्र प्रभात जी से मुखातिव होते हुए कहा कि आप लोग पांच बजे तक अवश्य आ जाईयेगा, नहीं तो ट्रेन छोटने की संभावना रहेगी ! उभें विदा करने के बाद हम लोग पैदल आगे बढ़ने लगे !मैं प्रभात जी के साथ चल रहा था इसलिए सोचा कि इस ऐतिहासिक क्षण को क्यों न अविस्मरनीय बना लिया जाए ? बातों ही बातों में मैंने प्रश्न किया कि प्रभात जी हमें ब्लोगिंग को किस रूप में लेना चाहिए ?

उन्होंने मेरी ओर देखा, मुस्कुराया और बड़ी शालीनता के साथ कहा कि , देखिये पाण्डेय जी आपने  जन्म लिया है तो आपकी भी एक दिन उम्र पूरी हो ही जायेगी, किन्तु मजा तब है जब यह सुख, शान्ति और आनंद के भाव से परिपूर्ण हो सके ! हमारे लिए यह संभव भी है , क्योंकि हमारे पास चिंतन शक्ति है ! परिवर्तन की क्षमता है ! कम भी हो तो उसका विकास करने की हम क्षमता रखते है !हर जगह-हर क्षेत्र में सुख के साथ-साथ दु:ख के भाव भी जुड़े हुए होते  है !इस दु:ख के कारणों को समझ कर दूर करने की क्षमता भी हमारे पास होती है ! आवश्यकता इस बात की है कि हम इस विषय को अपनी चिंतन धारा से जोड़ें ! ब्लोगिंग में चाहे शास्त्रीय भाव हो  , चाहे व्यवहारिक भाव ! हम संकल्प करें , दृढ़ता दिखाएँ और अभ्यास भी निरंतर करें ! इससे हम उर्जापूर्ण जीवन की यात्रा तय कर सकते हैं .....फिर थोड़ा रुककर उन्होंने कहा कि पाण्डेय जी मेरे विचार से प्रत्येक ब्लोगर अपनी सकारात्मक चिंतन धारा को ब्लोगिंग से जोड़े , यानी जब हम बदलेंगे तभी जग बदलेगा !"

मैं वेहद उत्साहित था उनके विचारों को सुनकर और वे चलते-चलते जीवन-सृजन और ब्लोगिंग के विन्हिन्न पहलूओं से मुझे रूबरू कराते जा रहे थे ,हमारे साथ-साथ लोकसंघर्ष वाले सुमन जी भी चल रहे थे और उन्हें जो बातें अच्छी लग रही थी बस "NICE "  बोलकर चुप हो जा रहे थे ! मैंने " NICE " लिखने का राज जब सुमन जी पूछा तो उन्होंने हंसते हुए कहा इस रहस्य को मैंने अभी तक खोला नहीं था पाण्डेय जी जब आपने पूछ ही लिया तो बता देता हूँ कि इस ब्लॉग जगत में यदि कुछ सुलझे हुए ब्लोगर हैं तो कुछ उलझे हुए भी हैं यानी कुछ ऐसे तत्त्व पैदा हो गए हैं यहाँ जिनका एक ही मकसद है उलटी-सीधी टिपण्णी करो और चर्चा में बने रहो ! उनसे उलझने का मतलब है अपनी उर्जा काक्षय करना, इसीलिए मैं NICE  लिखता हूँ ताकि मेरी टिपण्णी में जिसे जो ढूँढना है ढूंढ ले !यह कहकर उन्होंने लंबा ठहाका लगाया और कहा कि इसकी व्यापक व्याख्या करानी हो तो इस ब्लॉग जगत में दो रवि हैं एक रवि रतलामी और दूसरे रवीन्द्र प्रभात, इनसे करा सकते हैं !

मैंने प्रभात जी से पूछा कि सर, यह बताईये आप पत्रिकाओं से कितना भिन्न मानते हैं ब्लोगिंग को ?

उन्होंने कहा कि  ब्लोगिंग की दुनिया पूरी तरह स्वतंत्र,आत्म निर्भर और  मनमौजी किस्म की है ! यहाँ आप स्वयं लेखक, प्रकाशक और संपादक की भूमिका में होते हैं !ब्लॉग की दुनिया समय और दूरी के सामान अत्यंत विस्तृत और व्यापक है !यहाँ केवल राजनीतिक टिप्पणियाँ और साहित्यिक रचनाएँ ही नहीं प्रस्तुत की जाती वल्कि महत्वपूर्ण किताबों का इ प्रकाशन तथा अन्य सामग्रियां भी प्रकाशित की जाती है . आज हिंदी में भी फोटो ब्लॉग, म्यूजिक  ब्लॉग, पोडकास्ट, विडिओ ब्लॉग, सामूहिक ब्लॉग, प्रोजेक्ट ब्लॉग, कारपोरेट ब्लॉग आदि का प्रचलन तेजी से बढ़ा है ! यानी पत्रिकाओं की तुलना में ब्लॉग सर्वाधिक मॉस से जुड़ा हुआ माध्यम है !
तो क्या यह मान कर चला जाए कि आने वाला समय ब्लोगिंग का है ?

उन्होंने कहा हाँ,विल्कुल मान कर चला जा सकता है !वर्ष-२०१० में हिंदी ब्लोगिंग के चहुमुखी विकासमें भले ही अवरोध की स्थिति बनी रही पूरे वर्ष भर,किन्तु बुद्धिजीवियों का एक बड़ा तबका अपने इस आकलन को लेकर करीब-करीब एकमत है कि आने वाला कल हमारा है यानी हिंदी ब्लोगिंग का है ।

सर, कल सम्मलेन में आपने अपने उद्वोधन में कहा था, कि इस समय हिन्दी में लगभग 22 हजार के आसपास ब्लॉग हैं,जबकि यह संख्या अंग्रेजी की तुलना में काफी कम है। अंग्रेजी में इस समय लगभग चार करोड़ से अधिक ब्लॉग्स हैं। हालॉकि यह अलग बात है कि अप्रत्याशित रूप से ब्लॉगिंग विश्व में एशिया का दबदबा कायम है। टेक्नोरेटी के एक सर्वेक्षण के अनुसार विश्व के कुल ब्लॉग्स में से 37 प्रतिशत जापानी भाषा में हैं, 36 प्रतिशत अंग्रेजी में, और 8 प्रतिशत के साथ चीनी तीसरे नम्बर पर है। अभी तुलनात्मक रूप से भले ही हिन्दी ब्लॉग का विस्तार कॉफी कम है किन्तु हिन्दी ब्लॉगों पर एक से एक एक्सक्लूसिव चीजे प्रस्तुत की जा रही हैं और ऐसी उम्मीद की जा रही है की आने वाले समय में हिन्दी ब्लॉगिंग का विस्तार काफी व्यापक होगा।

लेकिन मैं यह महसूस कर रहा हूँ कि हिंदी ब्लोगिंग के विकास में सबसे बड़ी बाधा हिंदी के ब्लोगर ही हैं,पिछले दिनों  तरह-तरह की खेमेवाजी, ब्लॉग बबाल और असंसदीय टिप्पणियाँ देखने को मिली, मेरे भी एक व्यंग्य पर मुझे ब्लॉग जगत के तथाकथित भैया लोगों ने घेरने की कोशिश की थी,हिंदी ब्लॉग जगत के एक तथाकथित भाई साहब  जो स्वयं  संस्कारहीन होते हुए पिछले दिनों मेरे एक व्यंग्य पर मुझे संस्कार का पाठ पढ़ा रहा था  क्या यह हिंदी ब्लोगिंग के लिए खतरनाक नहीं है ?

मुझे लगा कि मैंने यह प्रश्न करके उनकी दुखती रगों पर नमक रख दिया हो, किन्तु मैं प्रश्न कर चुका था और वे चिंतन में खो गए थे ,पर थोड़ी ही देर में वे सहज हुए और एक हलकी सी मुस्कराहट उनके चहरे पर तैर गयी,उन्होंने शारदा बैराज पर राखी सौ साल पुरानी रेलगाड़ी के इंजन की ओर इशारा करते हुए कहा कि -" पाण्डेय जी उस रेलगाड़ी को देखिये, जबतक उसका समय था खूब चला और जब  कालांतर में इससे ज्यादा प्रतिभाशाली इंजन आया  तो यह प्रतिस्पर्द्धा से बाहर हो गया ! आयुर्वेद में भी कहा गया है कि जो जितना चलेगा  उतना ही जिएगा और चलता वही है जो प्रगतिशील होता है !"

रवीन्द्र प्रभात जी कुछ और बोले इससे पहले सुमन जी ने फिर कहा -NICE , इसबार उनके NICE  बोलते ही वातावरण ठहाकों में परिवर्तित हो गया !

हम  लोग बातचीत में इतने मशगूल हो गए थे कि कब बानबासा से गडडा चौकी पहुंचे पता ही नहीं चला, यहाँ हम लोगों ने ऑटो लिया और महेंद्रनगर पहुंचे .

मेरे प्रश्न  के आलोक में प्रभात जी के उत्तर अधूरे रह गए थे इसलिए मैंने सोचा थोड़ा और छेड़ा जाए, मैंने कहा आपको नहीं लगता कि कुछ लोग गुटवाजी को महत्व देकर ब्लोगिंग के वातावरण की पवित्रता को नष्ट कर रहे हैं ?

उन्होंने कहा नहीं पाण्डेय जी मैं ऐसा नहीं मानता, हमारे गुरु पूर्णेंदु जी हमें अक्सर कहा करते थे कि रवीन्द्र यह प्रकृति का नियम है कि हर अगला कदम पिछले कदम से खौफ खाता है ,यही खौफ उन्हें नकारात्मक प्रवृतियों की तरफ उन्मुख कर देता है ! ऐसे लोगों से दूरी बनाया जाय न कि उनकी नकारात्मक प्रवृतियों में खुद को शामिल कर दिया जाए .!

इसे लेकर किसी को संशय नहीं होना चाहिए कि हिंदी चिट्ठाकारी उर्जावान ब्लोगरों का एक ऐसा बड़ा समूह बनता जा रहा है जो किसी भी तरह की चुनौतियों पर पार पाने में सक्षम है और उसने अपने को हर मोर्चे पर साबित भी किया है । वस्तुतरू विगत वर्ष की एक बड़ी उपलब्धि और साथ ही आशा की किरण यह रही है कि ब्लॉग के माध्यम से वातावरण का निर्माण केवल वरिष्ठ ब्लोगरों ने ही नहीं किया है ,अपितु एक बड़ी संख्या नए और उर्जावान ब्लोगरों की हुई है, जिनके सोचने का दायरा बहुत बड़ा है । वे सकारात्मक सोच रहे हैं, सकारात्मक लिख रहे हैं और सकारात्मक गतिविधियों में शामिल भी हो रहे हैं ।



इतना कहकर उन्होंने इशारा किया कि अब ब्लोगिंग के संबंध में कुछ न पूछा जाए क्योंकि इससे यात्रा का रोमांच समाप्त हो रहा है ,खैर कुल मिलाकर पूरा अनुभव अविस्मरणीय रहा।