बुधवार, 5 सितंबर 2012

लम्पट और नक्कालों से सावधान

कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनके विचार तो महान होते हैं किन्तु जीवन महान नहीं होता । कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका जीवन तो महान होता है, विचार महान नहीं होते और ऐसा कोई बिरले ही होता है, जिनके विचार और जीवन दोनों महान होते हैं । हिंदी ब्लॉग जगत में ऐसे कुछ ही हैं जिनके जीवन और विचार दोनों महान है, उसमें से एक हैं रवीन्द्र प्रभात जी । ऐसा मैंने करीब से महसूस किया है, आप माने या न माने आपकी मर्जी । 

बाकी सब खुदगर्जी । एक अखबार के संपादक ने कुछ हिंदी ब्लोगरों की जमात को लम्पट कह दिया तो लम्पटों ने मोर्चा खोल दिया, उसी प्रकार जैसे नक्कटों को नक्कटा  कहना अपराध माना जाता है । मोर्चा खोलने वालों में एक हैं तथाकथित साहित्यकार, दुसरे हैं तथाकथित खुर्पेंचिया ब्लोगर और तीसरे हैं खुर्पेंचिया जी के तथाकथित शिष्य । तीनों ने मिलकर कुछ ऐसा किया कि, जो यह मानने को तैयार नहीं थे कि हिंदी के ब्लोगर लम्पट होते हैं.... वे भी मानने को विबश हो गए कि सचमुच हिंदी ब्लोगिंग में लम्पटों की कमी नहीं 

अब यह सुनने में आ रहा है कि वटवृक्ष के ब्लोगर दशक विशेषांक की अपार सफलता को देखकर कुछ नक्कालों ने वटवृक्ष की सारी  सामग्रियों को हूँ ब हूँ छपवाकर बेचने की तैयारी  कर रहे हैं, इसलिए ब्लोगरों सावधान हो जाईये .....हिंदी ब्लॉग जगत में लम्पटों के बाद अब नक्कालों की घुसपैठ हो गयी है। पत्रिका के बारे में कुछ जानकारी दे रहा हूँ , ये सारी चीजें जिसमें हो वही खरीदें । किसी नक्काले के चंगुल में न फंस जाए 

82 पृष्ठ के मल्टीकलर और अत्यंत मनभावन पत्रिका में ब्लोगिंग यानी आम आदमी की बुलंद अभिव्यक्ति पर रवीन्द्र प्रभात के द्वारा एक लंबी परिचर्चा आयोजित की गयी है जिसमें हिंदी के महत्वपूर्ण ब्लोगर सर्व श्री शकील सिद्दीकी, दिविक रमेश,प्रेम जन्मेजय,बालेन्दु शर्मा दाधीचजी के अवधिया, अविनाश वाचस्पति, ज्ञान दत्त पाण्डेय, पियूष पाण्डेय,डॉ अरविन्द मिश्र, खुशदीप सहगल, डॉ कुमारेन्द्र सिंह सेंगर, डॉ सुभाष राय,अखिलेश शुक्ल, डॉ रूप चद शास्त्री मयंक, अजय कुमार झा , अजित राय,सतीश सक्सेना, मनोज कुमार, सिद्धेश्वर सिंह, सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी,ललित शर्मा, आकांक्षा यादव,रेखा श्रीवास्तव आदि ।

पत्रिका में अंतरजाल पर सक्रिय हिंदी की महिला लेखिकाओं की वृहद् चर्चा की गयी है, जिसमें महत्वपूर्ण है रश्मि रविजा, लावण्या शाह, पूर्णिमा वर्मन, रश्मि प्रभा, डॉ कविता वाचकनवी,घुघूती बासूती, सुधा भार्गव, आकांक्षा यादव, रंजना भाटिया, निर्मला कपिला, संगीता स्वरुप, अजित गुप्ता, रचना, संगीता पूरी, प्रत्यक्षा सिन्हा, प्रतिभा सक्सेना, वाणी शर्मा, वन्दना गुप्ता, शिखा वार्ष्णेय, रचना दीक्षित, मीनाक्षी धन्वन्तरी,डॉ रमा द्विवेदी, डॉ जेनी शबनम, स्वप्न मंजूषा अदा, गीता श्री, प्रतिभा कटियार, शेफाली पाण्डेय, रेखा श्रीवास्तव, अपर्णा भागवत, महेश्वरी कनेरी,डॉ निधि टंडन, संगीता सेठी, प्रतिभा कुशवाहा, पारुल पुखराज, हेम ज्योत्सना पराशर दीप, कविता विकास, प्रियंका राठोड, रंजना सिंह, आशा लता सक्सेना, गिरिजा कुलश्रेष्ठ, डॉ मीनाक्षी स्वामी, सुमन कपूर, सुनीता, ममता सिंह, मृदुला हर्षवर्धन, अर्चना चाव जी, सोनल रस्तोगी, अनुपमा पाठक, पूनम श्रीवास्तव, गीता पंडित, राजेश कुमारी,अंजना दयाल, मीनू खरे, माधवी शर्मा गुलेरी, डॉ अरुणा कपूर, इन्दू पूरी, कंचन चौहान, असीम भट्ट, मनीषा कुलश्रेष्ठ, सुशीला पूरी, लीना मल्होत्रा राव, सुनीता शानू, रीता प्रसाद, दिव्या श्रीवास्तव,डॉ संध्या तिवारी, वन्दना महतो, हरकीरत हीर, सर्जना शर्मा, अर्शिया अली, अनुलता राज नायर, डॉ मोनिका शर्मा, नीरा त्यागी, सोंरुपा विशाल, इंदु सिंह, अनु सिंह चौधरी, रजनी मल्होत्रा नैयर, क्षितिजा, दीपिका रानी,हेमा दीक्षित, सोनिया बहुखंडी गौर, संगीता सिंह तोमर, अलका सैनी, निशा महाराणा, सरस दरवारी, शिखा कौशिक, कनुप्रिया गुप्ता, संध्या आर्य, डॉ प्रीत अरोड़ा, आभा, सुषमा आहुति, डॉ अनिता कपूर, विभा रानी श्रीवास्तव, अपर्णा भागवत, विधु यादव, हरदीप कौर संधू, कविता रावत, इला प्रसाद, अक्षिता पाखी आदि ।

पत्रिका में अंतरजाल पर सक्रिय हिंदी के पुरुष ब्लोगरों की वृहद् चर्चा की गयी है, जिसमें महत्वपूर्ण है -डॉ अरविन्द मिश्र, समीर लाल समीर,अनूप शुक्ल, रवीन्द्र प्रभात, प्रमोद सिंह, रवि रतलामी, शास्त्री जे सी फिलिप, दिनेश राय द्विवेदी,अजीत वाडनेकर, सुरेश चिपलूनकर, अविनाश वाचस्पति, डॉ जाकिर अली रजनीश, जीतेन्द्र चौधरी, मनीष कुमार, यशवंत, बी एस पावला, ज्ञान दत्त पाण्डेय, अलवेला खत्री, रबिश कुमार, खुशदीप सहगल, शाहनवाज़, सतीश पंचम,पुण्य प्रसून बाजपेयी, आलोक पुराणिक, रतन सिंह शेखावत, राजीव तनेजा, राजेन्द्र तेला निरंतर, प्रवीन पाण्डेय,अफलातून देसाई, आशीष खंडेलवाल, निशांत मिश्र, अशोक कुमार पाण्डेय, दिविक रमेश, प्रमोद ताम्बट , नीरज गोस्वामी, कौशलेन्द्र, पंकज सुबीर, चंडी दत्त शुक्ल, अविनाश चन्द्र, विजय कुमार सपत्ति, डॉ रूप चाँद शास्त्री मयंक, डॉ अरविन्द श्रीवास्तव, रणधीर सिंह सुमन , सतीश सक्सेना, प्रतुल वशिष्ट, अरुण साथी, संजय अनेजा, गौतम राजरिशी, नीरज जाट, श्याम कोरी उदय, टी एस दाराल, कुमार राधारमण, अरुण चन्द्र राय, मनोज पाण्डेय, हंस राज सुज्ञ, प्रवीण शाह, श्रीश शर्मा, योगेन्द्र पाल, कुवंर कुसुमेश, नवीन प्रकाश, संतोष त्रिवेदी, रविन्द्र पुंज, जय प्रकाश तिवारी, केवल राम, हरीश प्रकाश गुप्त, राहुल सिंह, राजेन्द्र स्वर्णकार, अजय कुमार झा, इन्द्रनील भट्टाचार्य,सुमित प्रताप सिंह, रजनीश के झा, संजीव तिवारी, जी के अवधिया, रविकर फैजावादी, कीर्तिश भट्ट, रावेन्द्र कुमार रवि, मसिजीवी, निर्मल गुप्त, परमेन्द्र प्रताप सिंह, कैलाश शर्मा, गिरीश बिल्लोरे मुकुल,डॉ प्रवीण चोपड़ा, मुकेश कुमार सिन्हा, सजीव सारथी, दर्शन बवेजा, मुकेश कुमार सिन्हा, संजय वेंगानी, कनिष्क कश्यप, बसंत आर्य, ॐ आर्य, हरे प्रकाश उपाध्याय, सिद्धेश्वर सिंह, ताऊ रामपुरिया, शिवम् मिश्र, यशवंत माथुर, दिनेश माली, नित्यानंद गायन, आलोक खरे, राजिव चतुर्वेदी, ओम पुरोहित कागद, भारत तिवारी दस्तकार, मिथिलेश दुबे, धीरेन्द्र सिंह भदौरिया, संतोष सिद्दार्थ, डॉ हेमंत कुमार, गणेश जी बागी, हरीश सिंह, मुकेश कुमार तिवारी, कैलाश शर्मा, सत्यम शिवम्, दिलीप तिवारी,ज्योति खरे, महेंद्र मिश्र, श्यामल सुमन, इमरान अंसारी, मधुरेश सुमित, विनय दास, जीतेन्द्र जौहर, रिषभ देव शर्मा, रूप सिंह चंदेल, दीपक मशाल, रमेश तैलंग, सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी, सुभाष नीरव, डॉ उमेश महादोषी, मुहम्मद तारिक असलम, प्राण शर्मा, सूरज प्रकाश, विष्णु वैरागी, संजय भास्कर, विनय प्रजापति, शैलेन्द्र कुमार शर्मा, जय प्रकाश मानस, पद्म सिंह, किशोर चौधरी, ललित शर्मा, मुकेश चन्द्र , दीपक मिश्र, बलराम अग्रवाल, सलिल वर्मा , डॉ सुभाष राय , अमलेंदु उपाध्याय आदि ।

इसके अलावा सुषमा सिंह द्वारा प्रस्तुत ब्लॉग,ब्लोगर और ब्लोगिंग :एक प्रश्नोत्तरी, एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन का आलेख हिंदी ब्लोगिंग का ओस्कर : परिकल्पना सम्मान,विनय दास का आलेख हिंदी ब्लोगिंग का वैश्विक हस्तक्षेप, रवि रतलामी के बड़े काम के ब्लॉग, रश्मि प्रभा का आलेख ब्लोगिंग ने खोखले आदर्शों को बेनकाव कर दिया है,डॉ अरविन्द मिश्र का आलेख हिंदी ब्लोगिंग में विज्ञानं लेखन की संभावनाएं और डॉ जाकिर अली रजनीश का आलेख आओ ब्लॉग बनाएं पत्रिका की गरिमा को बढाने में सहायक सिद्ध हुआ है ।

साथ ही अविनाश वाचस्पति का व्यंग्य हिंदी ब्लोगिंग खुशियों का फैलाव है और डॉ प्रीत अरोड़ा का आलेख फेसबुक पर रिश्तों की असलियत सारगर्भित है । इसके अतिरिक्त इस अंक में 150 से ज्यादा हिंदी के महत्वपूर्ण ब्लोगर्स के इ मेल पते दिए गए हैं । कुल मिलाकर यह अंक अत्यंत संग्रहणीय है । मेरे समझ से यह अंक हर ब्लोगर्स के पास सुरक्षित होना चाहिए ।

वटवृक्ष के इस  ब्लॉग  दशक विशेषांक की सहयोग राशि है 100/- 

  पत्रिका प्राप्त करने के लिए संपर्क :
parikalpanaa@gmail.com
ravindra.prabhat@gmail.com

शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

ब्लॉगर सम्मलेन के बाबत डॉ पवन मिश्र के सवाल-मनोज पाण्डेय के जबाब

एक वरिष्ठ ब्लोगर के उकसाने पर एक पप्पू टाईप ब्लोगर अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर सम्मलेन के बाबत आदरणीय रवीन्द्र  प्रभात जी से कुछ बचकाना प्रश्न किये हैं, जब मैंने उन तीखे प्रश्नों का उत्तर दिया तो उन्होंने डिलीट कर दिया, चलिए उसी परिप्रेक्ष्य में पोस्ट ही लगा देता हूँ _ 

रवीन्द्र जी जैसे सुलझे हुये व्यक्तित्व से इस प्रकार के चूतियापा वाले प्रश्न क्यों पूछते हो, ऐसे प्रश्नों के उत्तर तो कोई भी चिरकुट बता देगा। चलिये हम्म ही बताये देते हैं । यानी डॉ पवन मिश्र के सवाल -मनोज पाण्डेय के जबाब  

पहला प्रश्न :  इस सम्मेलन को अंतर्राष्ट्रीय दरज़ा कैसे मिला? उसके मानक क्या है?

पहले प्रश्न का उत्तर-  डॉक्टर की डिग्री ले ली और नर्सरी का प्रश्न पूछते हो मियां ! अमा मियां इतना भी नहीं जानते कि जैसे अंतरजिला, अंतराज्यीय, राष्ट्रीय उसी प्रकार अंतर्राष्ट्रीय । अंतर्राष्ट्रीय मानक का दर्जा इसलिए कि-कुछ विदेश में रहने वाले ब्लोगर भी सम्मिलित हुए तो अंतर्राष्ट्रीय मानक अपने आप तय हो गए| मियां नसुरुद्दीन के कुछ नुस्खे सीख लो आगे प्रश्न पूछने मे काम आएंगे । 


दूसरा प्रश्न :  इस समारोह के प्रायोजक और फंडिंग करने वाले कौन थे? सम्मान सूची मे शामिल कितने लोगो से समारोह के नाम पर सम्मान के नाम पर चन्दा लिया गया. इस कार्यक्रम मे जो खर्चे आये उनको  कब सार्वजनिक किया जायेगा  एवम उनके स्रोतो की जानकारी को कितने समय मे ब्लागजगत को दिया जायेगा?

दूसरे प्रश्न का उत्तर - प्रायोजक और फंडिंग दोनों प्रभात जी की आमदनी के कुछ हिस्से हैं, यानि रवीन्द्र जी ने लंगोटी पहन कर फाग खेला है। नहीं समझे, चलो नर्सरी क्लास के बच्चों की तरह समझाता हूँ कि रवीन्द्र जी ने घर फूँक तमाशा किया है यानि पूरा खर्च व्यक्तिगत ।हिसाब भी हम तब मांगे जब हमसे कोई सहायता राशी ली हो| जिन्होंने दी वे अपने आप हिसाब ले लेंगे और यदि सम्मलेन व्यक्तिगत खर्च पर हुआ है तब भी कोई प्रश्न जायज नहीं|  सम्मान के नाम पर यदि किसी ने चन्दा दिया हो, तो कहे तो सही । बकबकाने से काम नहीं चलेगा मिसिर जी, जेनरल नौलेज बढ़ाइए या फिर शंखपुष्पी पीजिए याददाश्त दुरुस्त हो जाएगी । 


तीसरा प्रश्न :  ."परिकल्पना" वालो ने जो वोटिंग करायी थी उसे सार्वजनिक कब करेगे? दशक ब्लागर दम्पत्ति का उल्लेख उसमे कही नही था तो यह सम्मान क्या तुष्टीकरण के चलते जोडा गया? 

तीसरे प्रश्न का उत्तर- 

परिकल्पना ने जिसे देना था सम्मान दे दिया सार्वजनिक मंच से, अब बचा ही क्या है.....एक बार परिकल्पना पर घूम आओ सारी सूची मिल जावेगी । दशक के ब्लॉगर दंपत्ति का सम्मान भी 12 मई को ही सार्वजनिक हो गयी थी, पढ़ोगे तभी न जानोगे । सम्मान के लिए कोई भी आयोजक कभी भी सम्मान के लिए सूचि बढ़ा सकता है इसमें काहे का एतराज ? बहुत पहले एक गाना खूब चर्चा मे रहा "पप्पू कांट डांस.......!"


रही ब्लॉग अकादमी खोलने के प्रस्ताव का, तो यह अभी तक केवल प्रस्ताव है, यदि कुबत हो तो बनाने ही मत दो ......और इससे बड़ा कार्यक्रम कराने की क्षमता हो तो जौनपुर या कानपुर मे ही करालों बच्चा ।

गुरुवार, 30 अगस्त 2012

क्या है ख़ास वटवृक्ष के ब्लॉग दशक विशेषांक में ?


वटवृक्ष के इस  ब्लॉग  दशक विशेषांक की सहयोग राशि है 100/- 


  82 पृष्ठ के मल्टीकलर और अत्यंत मनभावन पत्रिका में ब्लोगिंग यानी आम आदमी की बुलंद अभिव्यक्ति पर रवीन्द्र प्रभात के द्वारा एक लंबी परिचर्चा आयोजित की गयी है जिसमें हिंदी के महत्वपूर्ण ब्लोगर सर्व श्री शकील सिद्दीकी, दिविक रमेश,प्रेम जन्मेजय,बालेन्दु शर्मा दाधीचजी के अवधिया, अविनाश वाचस्पति, ज्ञान दत्त पाण्डेय, पियूष पाण्डेय,डॉ अरविन्द मिश्र, खुशदीप सहगल, डॉ कुमारेन्द्र सिंह सेंगर, डॉ सुभाष राय,अखिलेश शुक्ल, डॉ रूप चद शास्त्री मयंक, अजय कुमार झा , अजित राय,सतीश सक्सेना, मनोज कुमार, सिद्धेश्वर सिंह, सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी,ललित शर्मा, आकांक्षा यादव,रेखा श्रीवास्तव आदि ।

  पत्रिका में अंतरजाल पर सक्रिय हिंदी की महिला लेखिकाओं की वृहद् चर्चा की गयी है, जिसमें महत्वपूर्ण है रश्मि रविजा, लावण्या शाह, पूर्णिमा वर्मन, रश्मि प्रभा, डॉ कविता वाचकनवी,घुघूती बासूती, सुधा भार्गव, आकांक्षा यादव, रंजना भाटिया, निर्मला कपिला, संगीता स्वरुप, अजित गुप्ता, रचना, संगीता पूरी, प्रत्यक्षा सिन्हा, प्रतिभा सक्सेना, वाणी शर्मा, वन्दना गुप्ता, शिखा वार्ष्णेय, रचना दीक्षित, मीनाक्षी धन्वन्तरी,डॉ रमा द्विवेदी, डॉ जेनी शबनम, स्वप्न मंजूषा अदा, गीता श्री, प्रतिभा कटियार, शेफाली पाण्डेय, रेखा श्रीवास्तव, अपर्णा भागवत, महेश्वरी कनेरी,डॉ निधि टंडन, संगीता सेठी, प्रतिभा कुशवाहा, पारुल पुखराज, हेम ज्योत्सना पराशर दीप, कविता विकास, प्रियंका राठोड, रंजना सिंह, आशा लता सक्सेना, गिरिजा कुलश्रेष्ठ, डॉ मीनाक्षी स्वामी, सुमन कपूर, सुनीता, ममता सिंह, मृदुला हर्षवर्धन, अर्चना चाव जी, सोनल रस्तोगी, अनुपमा पाठक, पूनम श्रीवास्तव, गीता पंडित, राजेश कुमारी,अंजना दयाल, मीनू खरे, माधवी शर्मा गुलेरी, डॉ अरुणा कपूर, इन्दू पूरी, कंचन चौहान, असीम भट्ट, मनीषा कुलश्रेष्ठ, सुशीला पूरी, लीना मल्होत्रा राव, सुनीता शानू, रीता प्रसाद, दिव्या श्रीवास्तव,डॉ संध्या तिवारी, वन्दना महतो, हरकीरत हीर, सर्जना शर्मा, अर्शिया अली, अनुलता राज नायर, डॉ मोनिका शर्मा, नीरा त्यागी, सोंरुपा विशाल, इंदु सिंह, अनु सिंह चौधरी, रजनी मल्होत्रा नैयर, क्षितिजा, दीपिका रानी,हेमा दीक्षित, सोनिया बहुखंडी गौर, संगीता सिंह तोमर, अलका सैनी, निशा महाराणा, सरस दरवारी, शिखा कौशिक, कनुप्रिया गुप्ता, संध्या आर्य, डॉ प्रीत अरोड़ा, आभा, सुषमा आहुति, डॉ अनिता कपूर, विभा रानी श्रीवास्तव, अपर्णा भागवत, विधु यादव, हरदीप कौर संधू, कविता रावत, इला प्रसाद, अक्षिता पाखी आदि ।

  पत्रिका में अंतरजाल पर सक्रिय हिंदी के पुरुष ब्लोगरों की वृहद् चर्चा की गयी है, जिसमें महत्वपूर्ण है -डॉ अरविन्द मिश्र, समीर लाल समीर,अनूप शुक्ल, रवीन्द्र प्रभात, प्रमोद सिंह, रवि रतलामी, शास्त्री जे सी फिलिप, दिनेश राय द्विवेदी,अजीत वाडनेकर, सुरेश चिपलूनकर, अविनाश वाचस्पति, डॉ जाकिर अली रजनीश, जीतेन्द्र चौधरी, मनीष कुमार, यशवंत, बी एस पावला, ज्ञान दत्त पाण्डेय, अलवेला खत्री, रबिश कुमार, खुशदीप सहगल, शाहनवाज़, सतीश पंचम,पुण्य प्रसून बाजपेयी, आलोक पुराणिक, रतन सिंह शेखावत, राजीव तनेजा, राजेन्द्र तेला निरंतर, प्रवीन पाण्डेय,अफलातून देसाई, आशीष खंडेलवाल, निशांत मिश्र, अशोक कुमार पाण्डेय, दिविक रमेश, प्रमोद ताम्बट , नीरज गोस्वामी, कौशलेन्द्र, पंकज सुबीर, चंडी दत्त शुक्ल, अविनाश चन्द्र, विजय कुमार सपत्ति, डॉ रूप चाँद शास्त्री मयंक, डॉ अरविन्द श्रीवास्तव, रणधीर सिंह सुमन , सतीश सक्सेना, प्रतुल वशिष्ट, अरुण साथी, संजय अनेजा, गौतम राजरिशी, नीरज जाट, श्याम कोरी उदय, टी एस दाराल, कुमार राधारमण, अरुण चन्द्र राय, मनोज पाण्डेय, हंस राज सुज्ञ, प्रवीण शाह, श्रीश शर्मा, योगेन्द्र पाल, कुवंर कुसुमेश, नवीन प्रकाश, संतोष त्रिवेदी, रविन्द्र पुंज, जय प्रकाश तिवारी, केवल राम, हरीश प्रकाश गुप्त, राहुल सिंह, राजेन्द्र स्वर्णकार, अजय कुमार झा, इन्द्रनील भट्टाचार्य,सुमित प्रताप सिंह, रजनीश के झा, संजीव तिवारी, जी के अवधिया, रविकर फैजावादी, कीर्तिश भट्ट, रावेन्द्र कुमार रवि, मसिजीवी, निर्मल गुप्त, परमेन्द्र प्रताप सिंह, कैलाश शर्मा, गिरीश बिल्लोरे मुकुल,डॉ प्रवीण चोपड़ा, मुकेश कुमार सिन्हा, सजीव सारथी, दर्शन बवेजा, मुकेश कुमार सिन्हा, संजय वेंगानी, कनिष्क कश्यप, बसंत आर्य, ॐ आर्य, हरे प्रकाश उपाध्याय, सिद्धेश्वर सिंह, ताऊ रामपुरिया, शिवम् मिश्र, यशवंत माथुर, दिनेश माली, नित्यानंद गायन, आलोक खरे, राजिव चतुर्वेदी, ओम पुरोहित कागद, भारत तिवारी दस्तकार, मिथिलेश दुबे, धीरेन्द्र सिंह भदौरिया, संतोष सिद्दार्थ, डॉ हेमंत कुमार, गणेश जी बागी, हरीश सिंह, मुकेश कुमार तिवारी, कैलाश शर्मा, सत्यम शिवम्, दिलीप तिवारी,ज्योति खरे, महेंद्र मिश्र, श्यामल सुमन, इमरान अंसारी, मधुरेश सुमित, विनय दास, जीतेन्द्र जौहर, रिषभ देव शर्मा, रूप सिंह चंदेल, दीपक मशाल, रमेश तैलंग, सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी, सुभाष नीरव, डॉ उमेश महादोषी, मुहम्मद तारिक असलम, प्राण शर्मा, सूरज प्रकाश, विष्णु वैरागी, संजय भास्कर, विनय प्रजापति, शैलेन्द्र कुमार शर्मा, जय प्रकाश मानस, पद्म सिंह, किशोर चौधरी, ललित शर्मा, मुकेश चन्द्र , दीपक मिश्र, बलराम अग्रवाल, सलिल वर्मा , डॉ सुभाष राय , अमलेंदु उपाध्याय आदि ।

  इसके अलावा सुषमा सिंह द्वारा प्रस्तुत ब्लॉग,ब्लोगर और ब्लोगिंग :एक प्रश्नोत्तरी, एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन का आलेख हिंदी ब्लोगिंग का ओस्कर : परिकल्पना सम्मान,विनय दास का आलेख हिंदी ब्लोगिंग का वैश्विक हस्तक्षेप, रवि रतलामी के बड़े काम के ब्लॉग, रश्मि प्रभा का आलेख ब्लोगिंग ने खोखले आदर्शों को बेनकाव कर दिया है,डॉ अरविन्द मिश्र का आलेख हिंदी ब्लोगिंग में विज्ञानं लेखन की संभावनाएं और डॉ जाकिर अली रजनीश का आलेख आओ ब्लॉग बनाएं पत्रिका की गरिमा को बढाने में सहायक सिद्ध हुआ है ।

  साथ ही अविनाश वाचस्पति का व्यंग्य हिंदी ब्लोगिंग खुशियों का फैलाव है और डॉ प्रीत अरोड़ा का आलेख फेसबुक पर रिश्तों की असलियत सारगर्भित है । इसके अतिरिक्त इस अंक में 150 से ज्यादा हिंदी के महत्वपूर्ण ब्लोगर्स के इ मेल पते दिए गए हैं । कुल मिलाकर यह अंक अत्यंत संग्रहणीय है । मेरे समझ से यह अंक हर ब्लोगर्स के पास सुरक्षित होना चाहिए ।

  पत्रिका प्राप्त करने के लिए संपर्क :
parikalpanaa@gmail.com
ravindra.prabhat@gmail.com

गुरुवार, 5 जुलाई 2012

विवाह जैसी संस्था की परिधि में उन्मुक्त प्रेम की तलाश करती एक पुस्तक

विवाह जैसी संस्था की परिधि में उन्मुक्त प्रेम की तलाश है ‘प्रेम न हाट बिकाय’ उपन्यास : रवीद्र प्रभात


रवीन्द्र प्रभात , हिन्दी साहित्य में एक एसे साहित्यकार हैं जिन्होंने साहित्यिक ब्लॉगस को बड़ी गंभीरता से लिया और ब्लॉग के मुख्य विश्लेषको के रुप में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया । पर रवीन्द्र जी केवल वेब तक सीमित साहित्यकार नहीं हैं । हाल ही में उनका दूसरा उपन्यास “ प्रेम न हाट बिकाय” प्रकाशित हुआ हैं जो प्रेम संबंधो पर आधारित हैं । इससे पहले उनका उपन्यास “ ताकि बचा रहे लोकतन्त्र” भी चर्चित रहा । इससे पहले रवीन्द्र जी के दो ग़ज़ल संग्रह और एक कविता संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं । इन सभी के बीच उनकी लिखी एक खास पुस्तक “ हिन्दी ब्लोगिंग का इतिहास “ जो पिछले वर्ष प्रकाशित हुयी भी एक महत्वपूर्ण पुस्तक हैं जो हिन्दी साहित्य तथा ब्लॉग के जुड़ाव के इतिहास की रोचक कहानी हैं ।
ब्लॉग श्री और ब्लॉग भूषण सम्मान से सम्मानित तथा परिकल्पना वेब पत्रिका के प्रधान संपादक रवीन्द्र प्रभात से उनके लेखन , उनके “ प्रेम न हाट बिकाय”  नए उपन्यास और कई पहलुओ पर isahitya ने उनसे बातचीत की है । 

मंगलवार, 22 मई 2012

कुछ तो ब्लॉगर कहेंगे, ब्लॉगरों का काम है कहना : संतोष त्रिवेदी


संदर्भ : परिकल्पना सम्मान-2012
स्त्रोत जहां से चिंगारी उठी :  द्वितीय परिकल्पना सम्मान की उद्घोषणा 

यह चिंगारी देखते-देखते आग की लपटों मे तब्दील हो गयी । रवीन्द्रप्रभात जैसे अनुभवी और कद्दाबर ब्लॉगर को लोग देने लगे बचकानी नसीहतें । उन्हें शायद नहीं मालूम कि रवीन्द्र प्रभात उन बिरले व्यक्तित्व मे से एक हैं जिनके ऊपर न तो विरोध का प्रभाव पड़ता है और न थोथी दलीलों का । मैं गवाह हूँ पिछले वर्ष संपन्न हुयी परिकल्पना सम्मान समारोह का, जब दिल्ली का हिन्दी भवन खचाखच भरे देश-विदेश के मूधन्य ब्लॉगरों से सजा था और मंच पर उद्घोषित हो रहे थे कई अद्भुत और विषमयकारी उद्घोषणायें। साक्षी था समय और समय के वे पहरूए जिनके होने मात्र से गरिमामय था समारोह । 

रवीन्द्र जी को दिये जाने वाले सुझावों की एक लंबी श्रृंखला है, शायद हिन्दी ब्लोगिंग के इतिहास मे यह पहली बार हुआ होगा जब किसी एक व्यक्ति की पहल की प्रतिकृया मे दर्जनों पोस्ट और कई सौ टिप्पणियाँ आई होंगी । रवीन्द्र जी की लोकप्रियता का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है ।

इन सारे पोस्ट और प्रतिक्रियाओं के मंथन के पश्चात दिव्या केएक पोस्ट पर रवीन्द्र जी की नज़र पड़ी और वे उनके सुझाव पर खुल्ला खेल फरुखावादी खेलने को उत्सुक हुये और खेला भी । मगर इस सुझाव मे लोगों ने हदें पार कर दी और अपने-अपने शुभचिंतकों को नामित करना शुरू कर दिया, बिना किसी आधार के । जिसने कभी जीवन मे कहानी नहीं लिखी उन्हें कथाकार के रूप मे नामित किया गया । जिसने कभी कविता नहीं लिखी उन्हें कवि और कवियित्रि के लिए नामित किया गया। जिसने कभी ब्लॉग की समीक्षा नहीं की उन्हें ब्लॉग समीक्षक के लिए नामित किया गया । वाह रे ब्लॉग जगत वाह ।

यानि फ्लॉप हो गयी दिव्या जी की भी सलाह ।

अब एक नयी सलाह आई है नुक्कड़ पर संतोष त्रिवेदी जी की, जिनहोने पूरे प्रकरण का गहन अध्ययन किया है और सारगर्भित सलाह दी है कि “मैं तो यही कहूँगा कि रवीन्द्र जी कि आपके सारे प्रयोग विफल करने की सुनियोजित तरीके से मुहिम चलाई जा रही है, उसे समझने की कोशिश कीजिये और वैसे ही कीजिये जैसे आपने अपने कुछ निर्णायकों की मदद से पिछले वर्ष किया था। आपकी नियत पर जो संदेह कर रहे हैं उनकी परवाह करने की कोई जरूरत नहीं। आपकी तथा आपके द्वारा गठित निर्णायकों की राय मे जो ब्लॉगर पात्रता रखते हैं, उन्हें सम्मानित कर आपको जो खुशी होगी वो शायद इन विवादित टिप्पणियों को आत्मसात कर नहीं होगी । इसलिए अब समय आ गया है कि रवींद्र जी इस सम्मान-समारोह की गरिमा को बनाये रखें,इसे सीमित रखें और ऐसे वरिष्ठ लोगों का एक पैनल बनायें जो ब्लॉग-विषय और उसकी सार्थकता को ध्यान में रखें.जो लोग पैनल में हों,उनके अपने ब्लॉग इस दौड़ से बाहर हों. . उम्‍मीद करता हूं कि अब अवश्‍य ही कुछ सार्थक निकलकर हिंदी ब्‍लॉग जगत के हित में सामने आएगा,फिर भी रवीन्द्रजी,आपका निर्णय अंतिम और मान्य होगा,आप जैसा उचित समझें,वैसा करें ।"

मैं तो सहमत हूँ इस सुझाव से........ क्या आप भी सहमत है?


सोमवार, 12 मार्च 2012

गिरीश पंकज और शिखा वार्ष्णेय को प्रब्लेस का सम्मान

 
विगत दिनों प्रब्लेस शिखर सम्मान की घोषणा की गयी थी, जिसके अंतर्गत "नागार्जुन जन्मशती कथा सम्मान" हेतु वर्ष-2011 में प्रकाशित दलित विमर्श पर आधारित उपन्यास "ताकि बचा रहे लोकतंत्र" के लेखक श्री रवीन्द्र प्रभात का,"शमशेर जन्मशती काव्य सम्मान" हेतु वर्ष-2010 में प्रकाशित काव्य संग्रह "शब्दों का रिश्ता" की कवयित्री श्रीमती रश्मि प्रभा का तथा  "प्रब्लेस चिट्ठाकारिता शिखर सम्मान" हेतु वर्ष-2011 में प्रकाशित पुस्तक "हिंदी ब्लॉगिंग:अभिव्यक्ति की नयी क्रान्ति" के संपादक द्वय श्री अविनाश वाचस्पति और श्री रवीन्द्र प्रभात का चयन संयुक्त रूप से किया गया था ।

इसले अलावा "केदारनाथ जन्मशती साहित्य सम्मान" हेतु श्री अरविन्द श्रीवास्तव (मधेपुरा), "गोपाल सिंह नेपाली जन्मशती काव्य सम्मान" हेतु श्री शहंशाह आलम (पटना),"अज्ञेय जन्मशती पत्रकारिता सम्मान" हेतु डा. सुभाष राय (लखनऊ)  का चयन करते हुए उद्घोषणा की गयी थी ।

इसके अलावा इस अवसर पर दो और विशेष सम्मान कविवर जानकी बल्लभ शास्त्री और व्यंग्यकार श्री लाल शुक्ल की स्मृति में प्रदान किये जाने की बात की गयी थी 


आज यह उद्घोषणा करते हुए मुझे अपार ख़ुशी हो रही है कि चयन समिति ने उपरोक्त दोनों सम्मान हेतु निम्न सृजनधर्मियों का चयन करते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है :

1) "जानकी बल्लभ शास्त्री साहित्य सम्मान" हेतु श्रीमती शिखा वार्ष्णेय (लन्दन) को उनकी कृति स्मृतियों में रूस के लिए 

2) "श्रीलाल शुक्ल व्यंग्य सम्मान" हेतु  श्री गिरीश पंकज (रायपुर , छतीसगढ़ ) को उनके व्यंग्य संग्रह ''हिट होने के फामूले''  के लिए ।

उपरोक्त सम्मान के अंतर्गत दोनों लेखकों को 2500/- नगद,सम्मान पत्र,श्रीफल,स्मृति चिन्ह,अंग वस्त्र आदि किसी विशिष्ट व्यक्ति द्वारा प्रदान किये जायेंगे ।

सम्मान समारोह की तिथि और स्थान की उद्घोषणा शीघ्र की जायेगी ।

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

प्रब्लेस शिखर सम्मान की उद्घोषणा.....

जैसा कि विगत वर्ष 21 मई 2011   को प्रगतिशील  ब्लॉग लेखक संघ की ओर से यह घोषणा की गयी थी कि इस वर्ष 17 फरवरी को प्रब्लेस अपना  पहला वार्षिक महाधिवेशन मनायेगा जिसमें साहित्य और ब्लॉगिंग से संवंधित तीन शिखर सम्मान दिए जायेंगे इस सम्मान हेतु वर्ष-2010 -2011 में प्रकाशित कृतियों को चयन का आधार बनाया गया था मुझे ख़ुशी है कि इसके लिए कई अच्छे लेखकों की प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई, साथ ही कई महत्वपूर्ण सुझाव भी प्राप्त हुए हैं जिसके आधार पर शिखर सम्मान हेतु तीन लेखकों का चयन इस प्रकार किया गया है : 


1) "नागार्जुन जन्मशती कथा सम्मान" हेतु वर्ष-2011 में प्रकाशित दलित विमर्श पर आधारित उपन्यास "ताकि बचा रहे लोकतंत्र" के लेखक श्री रवीन्द्र प्रभात का चयन किया गया है 


2)"शमशेर जन्मशती काव्य सम्मान" हेतु वर्ष-2010 में प्रकाशित काव्य संग्रह "शब्दों का रिश्ता" की कवयित्री श्रीमती रश्मि प्रभा  का चयन किया गया है 


3)"प्रब्लेस चिट्ठाकारिता शिखर सम्मान" हेतु वर्ष-2011 में प्रकाशित पुस्तक "हिंदी ब्लॉगिंग:अभिव्यक्ति की नयी क्रान्ति" के संपादक द्वय श्री अविनाश वाचस्पति और श्री रवीन्द्र प्रभात का चयन  संयुक्त रूप से  किया गया है 


उपरोक्त सम्मान के अंतर्गत प्रत्येक सम्मान के लिए सृजनधर्मियों को 15000/- नगद,सम्मान पत्र,श्रीफल,स्मृति चिन्ह, अंग वस्त्र आदि किसी विशिष्ट व्यक्ति द्वारा प्रदान किये जायेंगे  


उल्लेखनीय है कि उपरोक्त तीनों शिखर सम्मान हेतु काफी मात्रा में प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई । कुछ लेखक अपनी प्रविष्टियों से चयन समिति का दिल जितने में सफल रहे हैं और प्रब्लेस ने उन्हें भी इस अवसर पर सम्मानित करने का फैसला किया है, जिनके नाम इस प्रकार है : 


1) "केदारनाथ जन्मशती साहित्य सम्मान" हेतु श्री अरविन्द श्रीवास्तव (मधेपुरा)
2) "गोपाल सिंह नेपाली जन्मशती काव्य सम्मान" हेतु श्री शहंशाह आलम (पटना)
3) "अज्ञेय जन्मशती पत्रकारिता सम्मान" हेतु डा. सुभाष राय (लखनऊ)


उपरोक्त सम्मान के अंतर्गत तीनों लेखकों को 5100/- नगद,सम्मान पत्र,श्रीफल,स्मृति चिन्ह, अंग वस्त्र आदि किसी विशिष्ट व्यक्ति द्वारा प्रदान किये जायेंगे  


इसके अलावा इस अवसर पर दो विशेष सम्मान विगत वर्ष हम सबका साथ छोड़ गए कविवर जानकी बल्लभ शास्त्री और व्यंग्यकार श्री लाल शुक्ल की स्मृति में प्रदान किये जायेंगे :

1) "जानकी बल्लभ शास्त्री साहित्य सम्मान" हेतु उद्घोषणा बाद में की जायेगी 
2) "श्रीलाल शुक्ल व्यंग्य सम्मान" हेतु उद्घोषणा बाद में की जायेगी


उपरोक्त सम्मान के अंतर्गत दोनों लेखकों को 2500/- नगद,सम्मान पत्र,श्रीफल,स्मृति चिन्ह,अंग वस्त्र आदि किसी विशिष्ट व्यक्ति द्वारा प्रदान किये जायेंगे  


उत्तर प्रदेश में चुनाव का माहौल होने के कारण ये सम्मान चुनाव बाद  मई के किसी कार्य दिवस में तहजीब की नगरी लखनऊ में प्रब्लेस के प्रथम वार्षिक महाधिवेशन में प्रदान किये जायेंगे  
सभी लेखकों को बधाईयाँ और शुभकामनाएं !


शुभेच्छु :
मनोज कुमार पाण्डेय
संयोजक : प्रब्लेस 

मंगलवार, 3 जनवरी 2012

हिंदी के एक खास ब्लॉगर से खास मुलाक़ात ...


जी हाँ हिंदी ब्लॉग जगत में एक व्यक्ति है रवीन्द्र प्रभात किन्तु लोग कहते हैं कि वह व्यक्ति नहीं विश्व है । रवीन्‍द्र प्रभात ब्‍लॉग जगत में सिर्फ एक कुशल रचनाकार के ही रूप में नहीं जाने जाते हैं, उन्‍होंने ब्‍लॉगिंग के क्षेत्र में कुछ विशिष्‍ट कार्य भी किये हैं। वर्ष 2007 में उन्‍होंने ब्‍लॉगिंग में एक नया प्रयोग प्रारम्‍भ किया और ‘ब्‍लॉग विश्‍लेषण’ के द्वारा ब्‍लॉग जगत में बिखरे अनमोल मोतियों से पाठकों को परिचित करने का बीड़ा उठाया। 2007 में पद्यात्‍मक रूप में प्रारम्‍भ हुई यह कड़ी 2008 में गद्यात्‍मक हो चली और 11 खण्‍डों के रूप में सामने आई। वर्ष 2009 में उन्‍होंने इस विश्‍लेषण को और ज्‍यादा व्‍यापक रूप प्रदान किया और विभिन्‍न प्रकार के वर्गीकरणों के द्वारा 25 खण्‍डों में एक वर्ष के दौरान लिखे जाने वाले प्रमुख ब्‍लागों का लेखा-जोखा प्रस्‍तुत किया। इसी प्रकार वर्ष 2010 में भी यह अनुष्‍ठान उन्‍होंने पूरी निष्‍ठा के साथ सम्‍पन्‍न किया और 21 कडियों में ब्‍लॉग जगत की वार्षिक रिपोर्ट को प्रस्‍तुत करके एक तरह से ब्‍लॉग इतिहास लेखन का सूत्रपात किया।ब्‍लॉग जगत की सकारात्‍मक प्रवृत्तियों को रेखांकित करने के उद्देश्‍य से अभी तक जितने भी प्रयास किये गये हैं, उनमें ‘ब्‍लॉगोत्‍सव’ एक अहम प्रयोग है। अपनी मौलिक सोच के द्वारा रवीन्‍द्र प्रभात ने इस आयोजन के माध्‍यम से पहली बार ब्‍लॉग जगत के लगभग सभी प्रमुख रचनाकारों को एक मंच पर प्रस्‍तुत किया और गैर ब्‍लॉगर रचनाकारों को भी इससे जोड़कर समाज में एक सकारात्‍मक संदेश का प्रसार किया।

वर्ष-2010 का वर्धा सम्मलेन हो,अथवा वर्ष-2011 की खटीमा ब्लॉगर संगोष्ठी । कल्याण (मुम्बई) की राष्ट्रीय ब्लॉगर संगोष्ठी हो अथवा बैंकॉक का अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन ...सभी जगह जहां इनकी सार्थक उपस्थिति रही वहीँ इनके द्रारा प्रसारित वक्तव्य को हिंदी ब्लॉग जगत ने सिर आँखों पर लिया । अप्रैल-2011 में इन्होने 51 वरिष्ठ-कनिष्ठ ब्लॉगर्स को भारत की राजधानी दिल्ली में परिकल्पना सम्मान से सम्मानित कर ब्लॉगिंग की ताक़त का एहसास कराया । इन्होनें अविनाश वाचस्पति के साथ मिलकर हिंदी ब्लॉगिंग की पहली मूल्यांकनपरक पुस्तक का संपादन किया, वहीँ पहली बार हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास प्रकाशित कर एक नया इतिहास रच दिया । वर्ष-२००९ में ब्लॉग विश्लेषण के लिए संवाद डोट कॉम ने इन्हें संवाद सम्मान से सम्मानित किया । इस वर्ष 11 जनवरी को खटीमा ब्लॉगर मीट के दौरान साहित्य शारदा मंच ने इन्हें "ब्लॉग श्री", दिनांक 09 दिसंबर को यु. जी. सी. संपोषित राष्ट्रीय ब्लॉगर संगोष्ठी कल्याण (मुम्बई) में इन्हें "ब्लॉग भूषण" तथा दिनांक 18 दिसंबर को बैंकॉक में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन में हिंदी ब्लॉगिंग में उल्लेखनीय कार्य हेतु "सृजन श्री" सम्मान से सम्मानित किया गया ।


इस वर्ष इनका पहला उपन्यास "ताकि बचा रहे लोकतंत्र" भी आया है और दलित विमर्श के कारण यह उपन्यास आजकल काफी चर्चा में है । विगत एक सप्ताह से मैं लखनऊ में हूँ, मैंने रवीन्द्र जी को फोन किया कि मैं आपसे मिलना चाहता हूँ, उन्होंने सहर्ष अपनी स्वीकृति दी और उनसे मिलने उनके आवास पर गया, जहां विभिन्न विषयों पर उन्होंने खुलकर चर्चा की । प्रस्तुत है रवीन्द्र प्रभात जी से हुई गुफ्तगू का मुख्य अंश :

नमस्कार रवीन्द्र जी !
उत्तर: नमस्कार

इस बार माह दिसंबर में आपने ब्लॉग विश्लेषण प्रस्तुत नहीं किया, क्यों ?
उत्तर: दरअसल,इसबार दिसंबर के महीने में लगातार मैं शहर से बाहर रहा, कभी कल्याण,कभी मुम्बई कभी थाईलैंड तो कभी कोलकता की यात्रा पर । व्यस्तता अधिक थी, इसलिए विश्लेषण प्रस्तुत करना संभव नहीं हो सका   वैसे मेरी कोशिश है कि इसे जनवरी-2012 के प्रथम पक्ष  में प्रस्तुत किया जाए  


कल्याण ब्लॉगर संगोष्ठी में आपने इस वर्ष के कुछ आंकड़े प्रस्तुत किये थे,आपकी नज़रों में इस समय हिंदी के कितने ब्लॉग हैं ?
उत्तर:चिट्ठाजगत के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष की प्रथम तिमाही में लगभग सबा छ: हजार के आसपास हिंदी के ब्लॉग अबतरित हुए हैं, दूसरी तिमाही में पांच हजार आठ सौ  इसके बाद चिट्ठाजगत ने आंकड़े देने बंद कर दिए   मैंने परिकल्पना की ओर से  ब्लॉग सर्वे किया था और कुल मिलाकर जिस निष्कर्ष पर पहुंचा उसके हिसाब से इस वर्ष २० हजार के आसपास हिंदी के ब्लॉग अवतरित हुए हैं , जिसमें से लगभग एक हजार के आसपास पूर्णत: सक्रीय है   इस वर्ष के आंकड़ों को पूर्व आंकड़ों  में मिला दिया जाए तो लगभग ५० हजार ब्लॉग हिंदी के हैं, किन्तु सक्रियता की दृष्टि से देखा जाए तो हिंदी अभी भी काफी पीछे है क्योंकि हिंदी में सक्रीय ब्लॉग की संख्या अभी भी पांच हजार से ज्यादा नहीं है  वहीँ भारत की विभिन्न भाषाओं को मिला दिया जाये तो अंतरजाल पर यह संख्या पांच लाख के आसपास है  तमिल, तेलगू और मराठी में हिंदी से ज्यादा सक्रिय ब्लॉग है  

आपको हिंदी के पहले इतिहासकार के रूप में एक पहचान मिली है और आप हिंदी के मुख्य ब्लॉग विश्लेषक के रूप में अपनी छवि बिकसित करने में सफल हुए हैं, इसकी प्रेरणा आपको कहाँ से मिली ?
उत्तर:मेरी समझ से कार्य बड़े होते हैं अलंकरण नहीं  शुरुआत छोटी ही होती है। धीरे-धीरे बड़ा काम अन्जाम दे दिया जाता है। दो दशक के साहित्यिक अनुभव के पश्चात जब मैंने ब्लॉगिंग में कदम रखा तो उस समय हिंदी के ५०-६० सक्रीय ब्लॉगर ही थे   मैंने मजाक-मजाक में वर्ष-२००७ में ब्लॉग विश्लेषण शुरू किया जो आगे चलकर एक दुरूह कार्य में परिवर्तित हो गया   मैंने हिम्मत नहीं हारी और इस यज्ञ को जारी रखा फिर अपने आप सबकुछ होता चला गया   

आपको नहीं लगता कि ब्लॉगिंग में चर्चित हो जाने से आपका साहित्यकार पक्ष गौण होता जा रहा है ?
उत्तर:नहीं मुझे ऐसा नहीं लगता  क्योंकि ब्लॉगिंग विधा नहीं एक नया माध्यम है विचारों को प्रस्तुत करने का  चाहे वह साहित्यिक विचार हों,सामाजिक हो अथवा सांस्कृतिक  यदि मैं कहूं कि ब्लॉगिंग अभिव्यक्ति का एक ऐसा  माध्यम है जो अन्य सभी माध्यमों से सशक्त है तो शायद किसी को न अतिश्योक्ति होगी और न शक की गुंजाईश ही  

कुछ सोचते हुए,थोड़ा रुककर फिर उन्होंने कहा :
उत्तर:यहाँ नयी बातें पता चलती हैं, लिखने-पढ़ने की इच्छा पूरी होती है, टिप्पणियों के ज़रिये सराहना मिलती है, अच्छे पाठक और दोस्त मिलते हैं  बहुत कुछ लिखने और पढ़ने के दौरान हमें अपनी कमियों और खूबियों का पता भी चल जाता है  कहा गया है कि ब्लॉगिंग की दुनिया समय और दूरी के सामान अत्यंत विस्तृत और व्यापक है, साथ ही पूरी तरह स्वतंत्र,आत्म निर्भर और मनमौजी किस्म की है । यहाँ आप स्वयं लेखक, प्रकाशक और संपादक की भूमिका में होते हैं । यहाँ केवल राजनीतिक टिप्पणियाँ और साहित्यिक रचनाएँ ही प्रस्तुत नहीं की जाती वल्कि महत्वपूर्ण किताबों का इ प्रकाशन तथा अन्य सामग्रियां भी प्रकाशित की जाती है । हिंदी में आज फोटो ब्लॉग, म्यूजिक  ब्लॉग, पोडकास्ट, , वीडियो ब्लॉग, सामूहिक ब्लॉग, प्रोजेक्ट ब्लॉग, कारपोरेट ब्लॉग आदि का प्रचलन तेजी से बढ़ा है । यानी हिंदी ब्लॉगिंग आज वेहद संवेदनात्मक दौर में है । 

हिंदी ब्लॉगिंग के अबतक की विकास यात्रा से आप संतुष्ट हैं ?
उत्तर:नहीं,अन्य भाषाओं की तुलना में हम काफी पीछे हैं । अग्रेजी के ब्लॉग की संख्या से यदि हिंदी की तुलना की जाए तो कई प्रकाश वर्ष का अंतर आपको महसूस होगा । फिर भी देखा जाए तो सामाजिक सरोकार से लेकर तमाम विषयों को व्यक्त करने  की दृष्टि से सार्थक ही नहीं सशक्त माध्यम बनती जा रही है यह हिंदी ब्लॉगिंग । आज हिंदी ब्लॉगिंग एक समानांतर मीडिया का रूप ले चुकी  है और अपने सामाजिक सरोकार को व्यक्त करने की दिशा में पूरी प्रतिबद्धता और वचनबद्धता  के साथ सक्रिय है । आज अपनी अकुंठ संघर्ष चेतना और सामाजिक-साहित्यिक-सांस्कृतिक सरोकार के बल पर हिंदी ब्लॉगिंग महज आठ साल की अल्पायु में ही हनुमान कूद की मानिंद जिन उपलब्धियों  को लांघने में सफल हुई है वह कम संतोष की बात नहीं है ...! 


एक बार रवि रतलामी जी ने कहा था की नए सुर-तुलसी ब्लॉगिंग के जरीय ही पैदा होंगे,क्या आप इन बातों से सहमत हैं ?
उत्तर:पूरी तरह सहमत हूँ,क्योंकि इस बक्तव्य में न कोई शक है और न अतिश्योक्ति हीं । रवि जी का मैं बहुत सम्मान करता हूँ ,अभी ९ दिसंबर को कल्याण ब्लॉगर संगोष्ठी में उनसे मुलाक़ात हुयी थी,उनके व्यक्तित्व ने भी मुझे काफी प्रभावित किया। प्रयोगधर्मी ब्लॉगरों की श्रेणी में मैं उन्हें  सर्वोपरि मानता हूँ 


आज हिंदी ब्लॉगिंग को प्रिंट मीडिया काफी महत्व दे रहा है,प्रारंभिक दिनों में लोगों ने काफी मेहनत की होगी, आपकी नज़रों में प्रारंभिक दिनों के कौन-कौन  से ब्लॉगर ने ब्लॉगिंग को मजबूती देने का काम किया है ?


 उत्तर:फेहरिश्त लंबी है उसमें स्व. अमर कुमार के साथ-साथ श्रीमती पूर्णिमा बर्मन,श्री शास्त्री जे. सी. फिलिप,रवि रतलामी,बालेन्दु शर्मा दाधीच,अजित बाड्नेकर,उदयप्रकाश,अभय तिवारी, अविनाश दास,जीतेन्द्र चौधरी,ई पंडित श्रीश शर्मा, डा. अरविन्द मिश्र,अविनाश वाचस्पति, दिनेशराय द्विवेदीअशोक पांडेसमीर लाल समीरप्रियंकर, राजेश प्रियदर्शी, अनूप शुक्लज्ञानदत्त पाण्डेअनिता कुमारजाकिरअली ’रजनीश’,रश्मि प्रभा,राज भाटिया,कविता वाचकनवी,संगीता पूरी,रविश कुमार,युनुस खान, अनूप सेट्ठी,नीरज गोस्वामी,गिरीश पंकज,जय प्रकाश मानस,प्रवीण त्रिवेदी,संतोष त्रिवेदी,आकांक्षा यादव,अजय कुमार झा,प्रभात रंजन,कार्टूनिस्ट काजल कुमार  जैसे कई ब्लॉगर साथियों ने विभिन्न विषयों पर खूब लिखा। इन सबके लिए दिल में खूब सारा सम्मान है।


वर्ष-२००८ के बाद आये ब्लॉगरों में श्री प्रेम जनमेजय,दिविक रमेश,विजय कुमार सपत्ति,जी.के.अवधिया,डा. सुभाष राय,सिद्दार्थ शंकर त्रिपाठी,के.के. यादव,खुशदीप सहगल,सतीश सक्सेना, पद्म सिंह,गीता श्री,प्रवीण पाण्डेय,मनोज कुमार,सिद्धेश्वर,केवल राम,रेखा श्रीवास्तव,बंदना गुप्ता,अखिलेश शुक्ल,डा. रूप चंद शास्त्री मयंक,पियूष पाण्डेय,गिरीश बिल्लोरे मुकुल,ललित शर्मा,डा. कुमारेन्द्र सिंह सेंगर,महेंद्र श्रीवास्तव,कुवंर कुशुमेश,डा. हरीश अरोरा,एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन,विजय माथुर,निर्मला कपिला,रंजना रंजू भाटिया,अल्पना वर्मा  के अलावा  और भी कई खास नाम हैं…अब सबका नाम तो नहीं ले सकता पर नयी पीढ़ी के कई जुझारू ब्लॉगर हैं जैसे हरीश सिंह, डा. अनवर जमाल, यशवंत माथुर,  अनुपमा त्रिपाठी,आशुतोष, अंजू चौधरी, कविता वर्मा, चंद्रभूषण मिश्र गाफिल, दिनेश कुमार उर्फ रविकर, सुमित प्रताप सिंह,डा. मोनिका शर्मा आदि । और भी कुछ नाम है जिन  लोगों की वजह से ब्लॉगिंग हिंदी में मजबूत बन पायी। 


आपकी नज़रों में वे कौन ब्लॉगर हैं  जिन्होनें तकनीकी रूप से हिंदी ब्लॉगिंग को समृद्ध किया है ?
सबका नाम लेना संभव तो नहीं है फिर भी कई प्रमुख नाम है जैसे रवि रतलामी,शास्त्री जे. सी. फिलिप,उन्मुक्त,पंकज नुरुल्ला,आलोक कुमार,अनुनाद सिंह,श्रीश शर्मा,पी. एस. पावला,सागर नाहर,कमल,राजीव खंडेलवाल,विनय प्रजापति,शैलेश भारतवासी, पियूष पाण्डेय,शाहनवाज़,कनिष्क कश्यप,नवीन प्रकाश,रविन्द्र पुंज,गिरीश बिल्लोरे मुकुल आदि ब्लॉगरों ने इस दिशा में काफी काम किया  है । 

हिंदी ब्लॉगिंग की दिशा-दशा पर कुछ कहना चाहेंगे आप?


उत्तर:हाँ क्यों नहीं ? आठ वर्षों के अंतराल में हिंदी ब्लॉगिंग के माध्यम से जो भी पहल की गयी,जो कुछ भी घटित हुआ उसे चमत्कार कहा जा सकता है,क्योंकि उसी का परिणाम है की आज ब्लॉगिंग को न्यू मीडिया का दर्ज़ा प्राप्त हुआ है ।पिछले दिनों चाहे बाढ़ हो या सुखा या फ़िर मुम्बई के आतंकवादी हमलों के बाद की परिस्थितियाँ, चाहे नक्सलवाद हो या अन्य आपराधिक घटनाएँ , चाहे पिछला लोकसभा चुनाव हो अथवा हुए कई राज्यों के विधानसभा चुनाव या साम्प्रदायिकता, चाहे फिल्में हों या संगीत, चाहे साहित्य हो या कोई अन्य मुद्दा, तमाम ब्लॉग्स पर इनकी बेहतर प्रस्तुति हुयी है। हम दावे के साथ कह सकते हैं की हिंदी ब्लॉगिंग का भविष्य निश्चित रूप से वेहतर है 


कुछ ब्लॉग पोर्टल या वेब मैगजीन को छोड़ दिया जाए तो राजनीति से जुड़े ब्लॉग का अकाल दीखता है हिंदी में, फिर आप दावे के साथ इसे न्यू मीडिया,वैकल्पिक मीडिया या फिर कंपोजिट मीडिया कैसे कह सकते हैं ?

उत्तर:ऐसा नहीं है मनोज जी,हिंदी में राजनीति से जुड़े व्यक्तिगत ब्लॉग का अकाल नहीं है, हाँ कम जरूर है ।जहां तक राजनीति को लेकर ब्लॉग का सवाल है तो अफलातून के ब्लॉग समाजवादी जनपरिषद, नसीरुद्दीन के ढाई आखर, अनिल रघुराज के एक हिन्दुस्तानी की डायरी, अनिल यादव के हारमोनियम, प्रमोदसिंह के अजदक और हाशिया के साथ एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन के लोकसंघर्ष का जिक्र किया जाना चाहिए।

इस बार का ब्लॉगोंत्सव कबतक मनाने का इरादा है और इस बार ५१ ब्लॉगर हीं परिकल्पना सम्मान से सम्मानित होंगे या ज्यादा ?

५१ शुभ अंक है, अभी इससे ज्यादा बढाने की जरूरत मैं महसूस नहीं कर रहा हूँ .....संभव है ५ अप्रैल या फिर उसके बाद ब्लॉगोंत्सव का आयोजन हो । स्थान अभी तय नहीं है ।शीघ्र उद्घोषणा होगी । 

अपने पारिवारिक जीवन के बारे में कुछ बताएं 

उत्तर:८ मई १९८९ को मेरी शादी हुयी थी । श्रीमती जी घर और बच्चों की देख रेख इसप्रकार करती हैं की मुझे इस विषय पर ज्यादा सोचना नहीं पड़ता । फिर साहित्य और ब्लॉगिंग के लिए समय निकालना मेरे लिए काफी आसान हो जाता है । मेरे तीन बच्चे हैं,बड़ी बिटिया मॉडर्न ऑफिस मैनेजमेंट में डिप्लोमा करके आगे की तैयारी कर रही है,बेटा मैकेनिकल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष में है और सबसे छोटी बिटिया बारहवीं का इस बार फाईनल परीक्षा देने जा रही है। और क्या बताऊँ फिर कभी 

इतना कहकर उन्होंने अपनी कई व्यस्तताएं गिनायीं जिसे टाली नहीं जा सकती थी, इसलिए मैंने उनसे इजाजत लेकर कानपुर के लिए प्रस्थान कर गया और बातें अधूरी रह गयी