शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

ब्लॉगर सम्मलेन के बाबत डॉ पवन मिश्र के सवाल-मनोज पाण्डेय के जबाब

एक वरिष्ठ ब्लोगर के उकसाने पर एक पप्पू टाईप ब्लोगर अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर सम्मलेन के बाबत आदरणीय रवीन्द्र  प्रभात जी से कुछ बचकाना प्रश्न किये हैं, जब मैंने उन तीखे प्रश्नों का उत्तर दिया तो उन्होंने डिलीट कर दिया, चलिए उसी परिप्रेक्ष्य में पोस्ट ही लगा देता हूँ _ 

रवीन्द्र जी जैसे सुलझे हुये व्यक्तित्व से इस प्रकार के चूतियापा वाले प्रश्न क्यों पूछते हो, ऐसे प्रश्नों के उत्तर तो कोई भी चिरकुट बता देगा। चलिये हम्म ही बताये देते हैं । यानी डॉ पवन मिश्र के सवाल -मनोज पाण्डेय के जबाब  

पहला प्रश्न :  इस सम्मेलन को अंतर्राष्ट्रीय दरज़ा कैसे मिला? उसके मानक क्या है?

पहले प्रश्न का उत्तर-  डॉक्टर की डिग्री ले ली और नर्सरी का प्रश्न पूछते हो मियां ! अमा मियां इतना भी नहीं जानते कि जैसे अंतरजिला, अंतराज्यीय, राष्ट्रीय उसी प्रकार अंतर्राष्ट्रीय । अंतर्राष्ट्रीय मानक का दर्जा इसलिए कि-कुछ विदेश में रहने वाले ब्लोगर भी सम्मिलित हुए तो अंतर्राष्ट्रीय मानक अपने आप तय हो गए| मियां नसुरुद्दीन के कुछ नुस्खे सीख लो आगे प्रश्न पूछने मे काम आएंगे । 


दूसरा प्रश्न :  इस समारोह के प्रायोजक और फंडिंग करने वाले कौन थे? सम्मान सूची मे शामिल कितने लोगो से समारोह के नाम पर सम्मान के नाम पर चन्दा लिया गया. इस कार्यक्रम मे जो खर्चे आये उनको  कब सार्वजनिक किया जायेगा  एवम उनके स्रोतो की जानकारी को कितने समय मे ब्लागजगत को दिया जायेगा?

दूसरे प्रश्न का उत्तर - प्रायोजक और फंडिंग दोनों प्रभात जी की आमदनी के कुछ हिस्से हैं, यानि रवीन्द्र जी ने लंगोटी पहन कर फाग खेला है। नहीं समझे, चलो नर्सरी क्लास के बच्चों की तरह समझाता हूँ कि रवीन्द्र जी ने घर फूँक तमाशा किया है यानि पूरा खर्च व्यक्तिगत ।हिसाब भी हम तब मांगे जब हमसे कोई सहायता राशी ली हो| जिन्होंने दी वे अपने आप हिसाब ले लेंगे और यदि सम्मलेन व्यक्तिगत खर्च पर हुआ है तब भी कोई प्रश्न जायज नहीं|  सम्मान के नाम पर यदि किसी ने चन्दा दिया हो, तो कहे तो सही । बकबकाने से काम नहीं चलेगा मिसिर जी, जेनरल नौलेज बढ़ाइए या फिर शंखपुष्पी पीजिए याददाश्त दुरुस्त हो जाएगी । 


तीसरा प्रश्न :  ."परिकल्पना" वालो ने जो वोटिंग करायी थी उसे सार्वजनिक कब करेगे? दशक ब्लागर दम्पत्ति का उल्लेख उसमे कही नही था तो यह सम्मान क्या तुष्टीकरण के चलते जोडा गया? 

तीसरे प्रश्न का उत्तर- 

परिकल्पना ने जिसे देना था सम्मान दे दिया सार्वजनिक मंच से, अब बचा ही क्या है.....एक बार परिकल्पना पर घूम आओ सारी सूची मिल जावेगी । दशक के ब्लॉगर दंपत्ति का सम्मान भी 12 मई को ही सार्वजनिक हो गयी थी, पढ़ोगे तभी न जानोगे । सम्मान के लिए कोई भी आयोजक कभी भी सम्मान के लिए सूचि बढ़ा सकता है इसमें काहे का एतराज ? बहुत पहले एक गाना खूब चर्चा मे रहा "पप्पू कांट डांस.......!"


रही ब्लॉग अकादमी खोलने के प्रस्ताव का, तो यह अभी तक केवल प्रस्ताव है, यदि कुबत हो तो बनाने ही मत दो ......और इससे बड़ा कार्यक्रम कराने की क्षमता हो तो जौनपुर या कानपुर मे ही करालों बच्चा ।

5 टिप्‍पणियां:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

कभी ये लगता है अब ख़त्म हो गया सब कुछ - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !

Arvind Mishra ने कहा…

बढियां सवाल और रापचिक जवाब -कौव्वाली शैली -
इस बार आपको देख आँखें जुडाई -लोग कहते थे आप तो हवा बताश है ! :-)

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

सटीक उत्तर दिये हैं। डॉ साहब तो कारपोरेट भ्रष्टाचार के मसीहा अन्ना/रामदेव के पुजारी हैं। वह बेचारे व्यवहारिक बातें कहाँ से जाने?जिसने कोई मदद दी हो वह हिसाब मांगे -मुंहतोड़ जवाब दिया आपने।

अविनाश वाचस्‍पति अन्‍नाभाई ने कहा…

बोलती बंद
अब जहां से बोल निकलते हैं
उसे किसी दिन किसी ने
कर दिया बंद
तो बंद, ब्रेड वगैरह कहां से खाओगे

भूख अपनी कैसे मिटाओगे
चुप ही रहो तो बेहतर है
कहो कम, करो अधिक
एक आयोजन ही कर लो
कितने योजन घट जाओगे
अनुमान लगा लो

प्रश्‍न पूछने के
नहीं हैं अधिकार जिन्‍हें
पूछ रहे हैं साधिकार
बहुत निर्लज्‍ज हैं

कभी कुछ देना सीखो
तो जानोगे
देने का सुख असीम होता है

लिया ही किए हो अभी तक
इंसान से भी
भगवान से भी
इससे भगवान तो
न बन जाओगे

लंबा होना चाह रहे हो
अपना ही कद घटाओगे।

दीपक बाबा ने कहा…

wadhiya lga ji...
:)