यह चिंगारी देखते-देखते आग की लपटों मे तब्दील हो गयी । रवीन्द्रप्रभात जैसे अनुभवी और कद्दाबर ब्लॉगर को लोग देने लगे बचकानी नसीहतें । उन्हें शायद
नहीं मालूम कि रवीन्द्र प्रभात उन बिरले व्यक्तित्व मे से एक हैं जिनके ऊपर न तो विरोध
का प्रभाव पड़ता है और न थोथी दलीलों का । मैं गवाह हूँ पिछले वर्ष संपन्न हुयी परिकल्पना
सम्मान समारोह का, जब दिल्ली का हिन्दी भवन खचाखच भरे देश-विदेश के मूधन्य ब्लॉगरों
से सजा था और मंच पर उद्घोषित हो रहे थे कई अद्भुत और विषमयकारी उद्घोषणायें। साक्षी
था समय और समय के वे पहरूए जिनके होने मात्र से गरिमामय था समारोह ।
रवीन्द्र जी को दिये जाने वाले सुझावों की एक लंबी श्रृंखला है, शायद हिन्दी
ब्लोगिंग के इतिहास मे यह पहली बार हुआ होगा जब किसी एक व्यक्ति की पहल की प्रतिकृया
मे दर्जनों पोस्ट और कई सौ टिप्पणियाँ आई होंगी । रवीन्द्र जी की लोकप्रियता का इससे
बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है ।
इन सारे पोस्ट और प्रतिक्रियाओं के मंथन के पश्चात दिव्या केएक पोस्ट पर रवीन्द्र जी की नज़र पड़ी और वे उनके सुझाव पर खुल्ला खेल फरुखावादी खेलने
को उत्सुक हुये और खेला भी । मगर इस सुझाव मे लोगों ने हदें पार कर दी और अपने-अपने
शुभचिंतकों को नामित करना शुरू कर दिया, बिना किसी आधार के । जिसने कभी जीवन मे कहानी
नहीं लिखी उन्हें कथाकार के रूप मे नामित किया गया । जिसने कभी कविता नहीं लिखी उन्हें
कवि और कवियित्रि के लिए नामित किया गया। जिसने कभी ब्लॉग की समीक्षा नहीं की उन्हें
ब्लॉग समीक्षक के लिए नामित किया गया । वाह रे ब्लॉग जगत वाह ।
यानि फ्लॉप हो गयी दिव्या जी की भी सलाह ।
अब एक नयी सलाह आई है नुक्कड़ पर संतोष त्रिवेदी जी की, जिनहोने
पूरे प्रकरण का गहन अध्ययन किया है और सारगर्भित सलाह दी है कि “ मैं तो यही कहूँगा कि रवीन्द्र जी कि आपके सारे प्रयोग विफल करने की सुनियोजित तरीके से मुहिम चलाई जा रही है, उसे समझने की कोशिश कीजिये और वैसे ही कीजिये जैसे आपने अपने कुछ निर्णायकों की मदद से पिछले वर्ष किया था। आपकी नियत पर जो संदेह कर रहे हैं उनकी परवाह करने की कोई जरूरत नहीं। आपकी तथा आपके द्वारा गठित निर्णायकों की राय मे जो ब्लॉगर पात्रता रखते हैं, उन्हें सम्मानित कर आपको जो खुशी होगी वो शायद इन विवादित टिप्पणियों को आत्मसात कर नहीं होगी । इसलिए अब समय आ गया है कि रवींद्र जी इस सम्मान-समारोह की गरिमा को बनाये रखें,इसे सीमित रखें और ऐसे वरिष्ठ लोगों का एक पैनल बनायें जो ब्लॉग-विषय और उसकी सार्थकता को ध्यान में रखें.जो लोग पैनल में हों,उनके अपने ब्लॉग इस दौड़ से बाहर हों. . उम्मीद करता हूं कि अब अवश्य ही कुछ सार्थक निकलकर हिंदी ब्लॉग जगत के हित में सामने आएगा,फिर भी रवीन्द्रजी,आपका निर्णय अंतिम और मान्य होगा,आप जैसा उचित समझें,वैसा करें ।"
मैं तो सहमत हूँ इस सुझाव से........ क्या आप भी सहमत है?
26 टिप्पणियां:
रवीन्द्र जी की निष्पक्षता , तत्परता , और एक ख़ास लक्ष्य के प्रति रुझान मैं नहीं देखती तो परिकल्पना का समय न बनती ....... विचारों से लग व्यवस्थापक को बिना किसी
उत्तर के चलना चाहिए . क्योंकि उत्तर देते ही चिंगारी भड़केगी . ब्लॉग रिश्ते अपनी जगह रहें , निर्णायक अपनी जगह ...... आँधियों के बगैर कोई आगे नहीं बढ़ता
आभार
चल रही गतिविधियों की
जानकारी प्राप्त हो रही है -
सादर ||
बिल्कुल सहमत
बहुत मुश्किल काम है यह इतने सारे ब्लॉगर्स को नियमित पढ़ना और उनमे से चयन करना कि कौन श्रेष्ठ है। जिस तरह से लोग टिप्पणी द्वारा एक दूसरे के नाम दे रहे हैं लगता है सम्मान नही मूँगफली बट रही है। फैसला तो रविंद्र जी को ही लेना है वो समझदार है और जानते भी हैं कि इनमें से कितने लोग हैं जो वास्तविक रूप से सम्मान के हकदार हैं। जो भी हो उन्होनें लेखकों को सम्मानित करने का बीड़ा उठाया तो सही वरना यहाँ तो एक दूसरे की टाँग खिंचाई या पोस्ट खिंचाई होते हुए देखते हैं। चलिये हर कार्य इश्वर के विधान के अनुसार ही होता है जो भी होगा अच्छा ही होगा। और चूंकि यह हमारे ब्लॉग जगत का फ़ैंक्शन है हमें भी स्टार अवार्ड समझ निर्विवाद शामिल होना चाहिये।
मैं भी पूर्णरूपेण सहमत हूँ ।
मैं भी सहमत हूँ इस सारगर्भित सुझाव से ।
बहुत सही सुझाव...पूरी तरह सहमत...
ऐसा क्या है इन पुरुस्कारों में जिसे प्राप्त करने के लिए ब्लोगर टुच्चा गिरी पर उतर आये हैं...हैरानी होती हैं ऐसे होनहार पढ़े लिखे समझदार ब्लोगर तुच्छ पुरुस्कारों के लिए कैसी मारा मारी पर उतर आये हैं...क्या ब्लोगिंग का उद्देश्य पुरूस्कार पाना ही है, वो भी ऐसे पुरूस्कार जिनकी कोई मान्यता ही नहीं है...
नीरज
बिल्कुल सहमत हूँ ।
रवींद्र जी मुझसे अधिक समझदार हैं, मेरा कुछ कहना ठीक नहीं
main aap sabhi ki bato se sahmat hoon .
आज ऐसा किये जाने की ज़रूरत ज़्यादा है जिससे ब्लॉग-जगत में सौहार्द आ सके !!
आपका आभार !
nice
बात बिलकुल दुरस्त है...निर्णायक मंडल को अपने विवेक पर काम करना चाहिए..वैसे भी कोई प्रभावित होकर निर्णय करे तो उसे निर्णायक मंडल से खुद ही बहार हो जाना चाहिए....जो इस पहल से इतफाक नहीं रखता, तो बेहतर है की वो शख्स किनारा कर ले ..बिना मतलब हल्ला मचने की जरूरत क्या है
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - ब्लॉग बुलेटिन की राय माने और इस मौसम में रखें खास ख्याल बच्चो का
सहमत,....सुझाव पसंद आया,
संपूर्ण घटनाक्रम पर मेरी निगाह है मनोज जी, कुछ लोग बिना मतलब राय दे रहे हैं... कई लोगों का कहना है की यह सब आपकी पहल के खिलाफ साजिश है..... पर मेरे ख्याल से यह सब होता रहता है..मुझे या मेरे शुभचिंतकों पर इसका फर्क नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि राय रखने का हक सबको है । अलग-अलग और अजीब-अजीब राय तो हमेशा ही मिलती रहती है । अब मुझे और निर्णायक मण्डल को निर्णय देना है की कौन है हमारी नज़र मे बेहतरीन ब्लॉगर ।
@"आपके द्वारा गठित निर्णायकों की राय मे जो ब्लॉगर पात्रता रखते हैं, उन्हें सम्मानित कर आपको जो खुशी होगी वो शायद इन विवादित टिप्पणियों को आत्मसात कर नहीं होगी । इसलिए अब समय आ गया है कि रवींद्र जी इस सम्मान-समारोह की गरिमा को बनाये रखें,इसे सीमित रखें और ऐसे वरिष्ठ लोगों का एक पैनल बनायें जो ब्लॉग-विषय और उसकी सार्थकता को ध्यान में रखें.जो लोग पैनल में हों,उनके अपने ब्लॉग इस दौड़ से बाहर हों. . "
संतोष जी की इन बातों से सहमत ।
मैं तो दिग्गजों के शब्दकोष देख हैरां हूँ .... क्रोध में विवेक से गए वाली कहावत चरितार्थ है .
बिल्कुल सही सुझाव है....
aap ka bilakul sahi hai.
बात का बतंगड बन रहा है ... क्यों न प्यार से मसले सुलझाए जाएँ ...
सार्थक पोस्ट । । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।
बिल्कुल सही ..आपका आभार !
नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं ।
दूसरा ब्रम्हाजी मंदिर आसोतरा में .....
रविन्द्र प्रभात की सूक्ष्म दृष्टि का मैं कायल हूँ, बिरले होते हैं ऐसे लोग. जो बिना किसी स्वार्थ के किसी का नाम लें और आगे लाने का प्रयास करें
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