मंगलायतन
मंगलवार, 2 नवंबर 2010
शायद कुछ कर सकूं वयां जो दिल के भीतर है ....!
आज से कर ली मैंने भी दोस्ती इससे
शायद कुछ कर सकूं वयां जो दिल के भीतर है ....!
1 टिप्पणी:
shyam gupta
ने कहा…
खुशामदीद, स्वागत है,पान्डॆ जी
4 नवंबर 2010 को 4:05 pm बजे
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1 टिप्पणी:
खुशामदीद, स्वागत है,पान्डॆ जी
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